बुधवार, 17 अक्टूबर 2018

पाकिस्तान का कश्मीर पर कब्जा करने का नापाक षड्यंत्र : ओपरेशन टोपाक - पार्ट 2

वर्ष 1971 जीसे पाकिस्तान कभी भुल नहीं सकता, करीब एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने समर्पण कर हथियार डाल दिए थे और पाकिस्तान के दो टुकड़े कर विश्व के पटल पर नये राष्ट्र का निर्माण किया था भारत की सेना ने। 1948, 1965 और 1974 की शर्मनाक हार के बाद पाकिस्तान और उसकी सेना को यह वास्तविकता समज में आ गई थी की भारत को युद्ध के मैदान में वो कभी नहीं हरा सकता, इस लिए पाकिस्तान के तत्कालीन लश्करी तानाशाह जनरल जीया उल हक़ कश्मीर पर कब्जा करने के लिए एवं भारत की एकता को तोड़ने के लिए एक षड्यंत्र रचा जिसका नाम ओपरेशन टोपाक था, इस षड्यंत्र की विस्तृत जानकारी जनरल जीया उल हक़ ने आइएसआइ के लोगों को 1988 अप्रैल में प्रेजेंटेशन के जरिए दी। तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक ने 1988 में भारत के विरुद्ध ‘ऑपरेशन टोपाक’ नाम से ‘वॉर विद लो इंटेंसिटी’ की योजना बनाई। इस योजना के तहत भारतीय कश्मीर के लोगों के मन में अलगाववाद और भारत के प्रति नफरत के बीज बोने थे और फिर उन्हीं के हाथों में हथियार थमाने थे।
जनरल जीया उल हक़ आइएसआइ के लोगों को अपनेओपरेशन टोपाक का विस्तृत वर्णन किया है। कैसा होगा, कौन चलायेगा, क्या चाहते हैं, क्या लक्ष्य है, क्या मिलेगा और क्या पाकिस्तान चाहता है ? जीया उल हक़ कहते हैं…..
यहां हमें युद्ध के उन तरीकों को अपनाना होगा जिसे कश्मीरी स्वीकार करें और उसमें जुड़े, दुसरे शब्दों में कहें तो सैन्य कार्रवाई न करके कश्मीरी के नैतिक और भौतिक मूल्यों का समन्वित इस्तेमाल करना चाहिए जिससे हमारे दुश्मन की इच्छाशक्ति को नष्ट कर दें, उसकी राजनीतिक क्षमता को खत्म कर दुनिया के सामने एक दमनकारी के रूप में उसे दिखा सकें। जैन्टलमेन हमने शुरुआत में यह लक्ष्यांक पाना है ।
इतना कहकर जीया उल हक़ ने कश्मीर पर कब्जा करने और भारत के विरुद्ध छद्मयुद्ध केअपने षड्यंत्र का आयोजन बताया।
पहले चरण में एक दो वर्ष हमें हमारे कश्मीरी भाईयों को सत्ता में आने के लिए सहायता करने की कोशिश करनी होंगी। मैं यह बताना चाहता हूं कि बिना दिल्ली की सरकार की रजामंदी के कश्मीर में सरकार नहीं चला सकते। यह कहना अवास्तविक होगा कि एमयुएफ या उसके जैसा अन्य कोई गुट डेमोक्रेटिक या अन्य तरीके से सत्ता में आ सकते हैं। सत्ता दिल्ली जिसकी तरफदारी करेंगी उसी के पास होंगी। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शासक इलाइट वर्ग के कुछ खास पसंदीदा राजनेताओं को हमें चुनना होगा जो हमें सत्ता के सभी प्रभावी अंगो को हथियाने में मदद करते रहें । संक्षेप में कश्मीर पर कब्जा करने की योजना जीसे ओप. टोपाक ऐसा सांकेतिक नाम दिया है।
इसके बाद जीया उल हक़ ने ओपरेशन टोपाक का विस्तृत वर्णन किया। जो कुछ ऐसा था।
Phase 1 : चरण 1
  • सरकार के विरुद्ध छोटे स्तर पर विद्रोह जगाना है परंतु यह ध्यान रखना है कि विद्रोह इतना बड़ा न हो ताकि जम्मु और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाय।
  • हमारा समर्थन करने वाले लोगों को सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा करने में मदद करें जिससे वो पुलिस बल, वित्तिय संस्थान, संचार नेटवर्क और अन्य महत्वपूर्ण संस्था ओं को तोड सकें और हमारे विरुद्ध होनेवाली गतिविधियों की जानकारियां हमें मिलती रहें।
  • हमें किसानों और छात्रों को आगे रखकर भारत विरोधी भावनाओं को भड़काना है, धार्मिक भावनाओं को भड़काकर इस्तेमाल करना होगा जिससे हमें दंगे करवाने में और सरकार एवं भारत के विरुद्ध प्रदर्शनों में छात्रों एवं किसानों का सक्रिय सहयोग मिल सकें।
  • शुरुआत में कश्मीर घाटी में स्थित सुरक्षा बलों से निपटने के लिए घाटी के सक्षम विध्वंशकारी गुटों को व्यवस्थित और प्रशिक्षित किया जाय ।
  • जम्मु और कश्मीर तथा कश्मीर में लडाख के बीच की संचार एवं यातायात नेटवर्क को काटना है, इससे सुरक्षा बलों को बहार से सहायता नहीं मिल पायेगी । विशेषकर उस सड़क को टारगेट करना है जो सड़क जोजिला से कारगील तथा जो सड़क जोजिला से खरडुंगला जाती है ।
  • सरकार का ध्यान घाटी से हटाने के लिए सिख चरमपंथियों के साथ मिलकर जम्मु में अराजकता और आतंक खड़ा करें । इससे हिंदुओं के मन में भी सरकार के विरुद्ध भावनाएं खडी हो पाएगी।
  • कश्मीर घाटी में जहां जहां सेना स्थित या तैनात नहीं है ऐसे भागों पर नियंत्रण स्थापित किया जाए, इसके लिए दक्षिण कश्मीर सबसे उचित क्षेत्र है।
Phase 2 : चरण 2
  • मुख्य कश्मीर घाटी से सेना का ध्यान एवं तैनाती हटाने या कम करने के लिए सियाचिन, कारगील, राजौरी-पुंछ जैसे क्षेत्रो में लश्करी दबाव बढ़ाया जाए।
  • समय आने पर श्रीनगर, पट्टन, कुपवाड़ा, बारामुला और चौकिवाला में स्थित भारतीय सेना के बैस डिपो एवं हमला कर खत्म कीए जाए।
  • ओपरेशन जिब्राल्टर के सबकों से सिखना होगा। अफगानी मुजाहिदीनों को “आजाद” कश्मीर में बसाकर कश्मीर घाटी के पाकिस्तानी आतंकी ओं के प्रभाव वाले क्षेत्रों में घुसपैठ करानी होगी। इस पहलु को कार्यान्वित करने के लिए विस्तृत, सरल और विशेष योजना की आवश्यकता होगीं।
  • आजाद कश्मीर में स्थित सेवा निवृत्त सेना अधिकारियों का समूह अफगानी मुजाहिदीनों को भारतीय एयर फिल्ड, रेडियो स्टेशन पर हमलें करने के लिए और बैनीहाल सुरंग तथा कारगील लेह राजमार्ग को ब्लोक करने का प्रशिक्षण देकर तैयार करेंगे ।
  • ओपरेशन टोपाक के एक निश्चित समय पर पंजाब तथा जम्मु और कश्मीर के आसन्न क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना आक्रामक रवैया अपनाकर अतिरिक्त दबाव बनाएं रखें।
Phase 3 : चरण 3
ओपरेशन टोपाक के तिसरे चरण का विस्तृत वर्णन करते हुए जनरल जीया उल हक़ ने जो कहा वो भारत की एकता और अखंडता के लिए बहुत ही चिंताजनक था। जनरल जीया उल हक़ ने कहा :
“कश्मीर घाटी की मुक्ति के लिए विशेष योजना का हमारा लक्ष्य एक स्वतंत्र इस्लामिक देश की रचना करना है जो हमारे नियंत्रण में रहेगा।
हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है। भारत के आम चुनावों से पहले और जबतक भारत की सेना श्रीलंका में फंसी है तब तक हमें ज्यादा से ज्यादा दबाव बनाना शुरू कर देना चाहिए। अल्लाह ताला की दुआ है कि हमें अफगानी लड़ाकों को लिए अमेरिका से बडी संख्या में आधुनिक हथियार एवं गोला-बारूद मिला है जिसका इस्तेमाल हम कश्मीर में करेंगे , यह आधुनिक हथियार एवं गोला-बारूद हमारे कश्मीरी भाईयों को हमारे दिए लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा। हमें शुरुआत में आजाद कश्मीर की तरह वहां आजाद कश्मीर जैसे क्षेत्र बनाने है तो हमारा लक्ष्य इतना दूर नहीं दिखेगा जितना आज दिखता है । साथ ही साथ हमें भारत की इनफन्ट्री का ध्यान रखना होगा जो श्रीलंका की स्थति से विशेष रूप से प्रशिक्षित है और अनुभवी भी है,इस इनफन्ट्री का खासकर हाल की घटनाएं एवं परिस्थितियों के लिए और विशेष रूप से उत्तर पूर्व क्षेत्रो में कारवाई करने में सक्षम है।
परंतु कश्मीर की स्थिति संपूर्ण रुप से अलग बनानी होंगी और इसके लिए कस्बों में फिलिस्तीनी “इन्फेटाडा” और ग्रामीण क्षेत्रों में मुजाहिदीन की पैटर्न पर बड़े पैमाने पर हमलें करने होंगे क्योंकि कश्मीर में अराजकता का माहौल ज्यादा समय तक रहना आवश्यक है।
और इस पर हमारे मित्र चीन क्या करेगा ? हमारा मित्र चीन यह सुनिश्चित करेगा कि उनके सामने तैनात की गई भारतीय सेना वहां से हटे नहीं इसके लिए जो करना होगा वो चीन करेगा । परंतु यह हमारे ओपरेशन के तिसरे और अंतिम चरण में तब आवश्यक होगा अगर हम कीसी गंभीर मुश्किल परिस्थितियों में आ जाए। ओफकोर्स, हमारे जो शक्तिशाली मित्र देश है वो हमें एक या दुसरे समय पर बचाने हमारी मदद करेंगे। वो यह सुनिश्चित करेंगे कि हम जीते भले ही नहीं परंतु हमारी हार न हो।
आखिरकार, मैं आपको फिर से सावधान करना चाहता हुं की भारत से सीधे लड़कर कुछ भी हासिल करने का विश्वास करना भी विनाशकारी होगा। हमें हमारी सेना को लो प्रोफाइल पर रखना होगा, हमारा ध्यान इस ओर होना चाहिए कि भारत को चरण 1 या चरण 2 के समय ऐसी कोई स्थिति का निर्माण न हो जिसका आधार लेकर भारत पाकिस्तान पर सीधे हमला करें। हमें इस ओपरेशन के प्रत्येक चरण को रोकना, मुल्यांकन करना और जरुरत पड़ने पर बदलाव करना होगा क्योंकि रणनिती और योजनाओं को कुछ परिस्थितियों में कठोर परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है। मुजे ईस बात पर जोर देना जरूरी लगता है कि प्रत्येक चरण में स्थति का जानबूझकर और उद्देश्यपूर्ण मुल्यांकन सुनिश्चित किया जाना चाहिए तभी पाकिस्तान के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी।”
बाद में इस षड्यंत्र में बदलाव किए गए। जिसके तहत चौथे चरण में गैर मुस्लिम को कश्मीर से भगाया गया और कश्मीर नहीं छोड़ने वाले गैर मुस्लिम की हत्याएं की गई।
इसके पांचवें चरण में यह लक्ष्यांक पाना तय किया गया कि कश्मीर में बड़े पैमाने पर लोगों को पुलिस बल के खिलाफ भड़काकर हिंसा फैलाना, सरे-आम भारत विरोधी नारेबाजी करवाना, भारत से खिलाफत करवाना तथा राज्य पुलिस बल के जवानों की हत्याएं करना तथा उन्हें राज्य पुलिस की नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करना। आज कश्मीर इस चरण का शिकार हैं।
इसके बाद अंतिम एवं निर्णायक चरण के तहत कश्मीर में अराजकता फैला कर आंतरिक गड़बड़ पैदा करना, उपरांत सीमाओं पर बड़े पैमाने पर हमले करने की योजना को अंजाम देना ताकि एक ओर से भारतीय सेनाओं पर पाक सेना हमले करे तो दूसरी ओर से घुसपैठ में सफल होने वाले आतंकवादी और स्थानीय अलगावावादी ।
विश्वस्त सूत्रों एवं रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान अब ओपरेशन टोपाक के अंतिम चरण को लागु करने की तैयारी में जुट गया है। स्थानिक एवं विदेशी आतंकवादी उतनी संख्या में उपलब्ध नहीं होने के कारण पाकिस्तान अपनी सेना के चुनिंदा, प्रशिक्षित सैनिकों को जम्मु और कश्मीर में घुसपैठियों के रूप में भेजने की सोच में है।
भारत के विरुद्ध इतनी गहरी और बडी साजीस का पता राजनीतिक लोगों को नहीं होगा ऐसा मानना शायद मुर्खता हो सकती है, भारतीय नेताओं की ढ़ीली ढाली निती, और रवैये की वजह से ही आज ओपरेशन टोपाक अपने पहले, दुसरे, तीसरे और सभी चरणों को पार कर अपने आखिरी चरण में सफलतापूर्वक पहुंच गया है ।

1 टिप्पणी:

Devenz Voice ने कहा…

क्या है ओपरेशन टोपाक :
1971 की करारी हार और अपना आधा हिस्सा खोने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए भारत के साथ 1000 वर्ष लड़ने की गिदड भभकी दी थी, परंतु वो खुद 10 वर्ष तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रह पाये, जीया उल हक़ ने बगावत कर 1979 में भुट्टो को फांसी पर लटका दिया।
अब पाकिस्तान लश्करी शासन की एड़ी के नीचे आ चुका था। दुसरी तरफ अफगानिस्तान में तालिबान का उद्भव हुआ, और अब 1971 के वैश्विक अपमान का बदला लेने के लिए, छद्म युद्ध छेड़ने के लिए जनरल जीया उल हक़ की अगुवाई में षड्यंत्र रचा गया, जिसका नाम *”ओपरेशन टोपाक”* ।

https://devenzvoice.blogspot.com/2018/10/1.html?m=1

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