सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

नये भारत की नई ट्रेन : T-18 और भारतीय रेलवे का विश्लेषण : पार्ट -1

आज नये भारत की नई ट्रेन T-18 या Train-18 का ट्रायल होने वाला है। कुछ समय से सोश्यल मिडिया में इस ट्रेन के विषय में कुछ ना कुछ लिखा जा रहा है साथ अखबारों एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी थोड़ी थोड़ी झलकियां दि जा रही है इस नये भारत की नई ट्रेन के लिए।
इस ट्रेन के विषय में जानने से पहले भारतीय रेल के विकास और इतिहास की जानकारी उपलब्ध करना निहायत ही आवश्यक है अन्यथा ऐसी योजना या ऐसी ट्रेन की आवश्यकता क्यों है ? कितनी है और इससे क्या फायदा है यह समज पाने में दिक्कत होने की संभावना है।
भारतीय रेल का सर्व प्रथम प्रस्ताव 1832 में रखा गया जीस के पीछे अंग्रेजों का उद्देश्य अपनी सेना, पत्र व्यवहार, शस्त्रों की जल्द हेराफेरी करना ही था। भारत की सर्व प्रथम ट्रेन रेड हिल के नाम से जिसे आर्थर कोटन ने बनाया था, 1837 में रेड हिल से चिंताड्रीपेट ब्रीज के बीच तत्कालिन मद्रास में चली थी। उसके बाद लगातार रेलवे का विकास होता रहा।
भारतीय रेलवे के विकास की प्रक्रिया स्वतंत्रता के पश्चात भी जारी रहा। आज भारतीय रेलवे विश्व में तिसरे और एशिया की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी रेलवे है।
भारतीय रेलवे के विकास का विष्लेषण एवं आकलन करना आवश्यक लगता है परंतु भारतीय रेलवे के विकास की तुलना विश्व के संदर्भ में करना राष्ट्र के साथ अन्याय होगा इसलिए भारतीय रेलवे की तुलना एक ऐसे राष्ट्र की रेलवे से करनी चाहिए जो रेलवे के संबंध में समकालीन हो। संशोधन के पश्चात ऐसा एक ही राष्ट्र विश्व के पटल पर नजर आता है और वो है भारत के साथ धोखाधड़ी करने वाला और मित्र के महोरे के पीछे छुपा हुआ दुश्मन देश चीन।
भारत और चीन की स्वतंत्रता एवं रेलवे की शुरुआत
भारत 1947 अगस्त में स्वतंत्र हुआ वहां चीन को अक्टुबर 1949 में स्वतंत्रता मिली। भारतीय रेलवे की शुरुआत 1837 में हुई वहां चीन में रेलवे की शुरुआत 1864 में हुई। यह दोनों बातें स्पष्ट कर रही है कि भारत के मुकाबले चीन दो वर्ष बाद स्वतंत्र हुआ और रेलवे की शुरुआत भी भारत के मुकाबले करीब 30 वर्ष बाद ही हुई थी।
भारत और चीन रेलवे के विकास की तुलना
1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली तब भारत में 53596 किलोमीटर का रेलवे ट्रेक था और जब की चीन के पास 1945 में 27000 किलोमीटर रेलवे ट्रेक था । आज की भारत और चीन की रेलवे की तुलना करने पर कुछ तथ्य मिलते हैं ….. भारत की रेलवे के पास 1,21,407 किलोमीटर का कुल ट्रेक है जिसमें से 93902 किलोमीटर का ट्रेक रनिंग ट्रेक है और कुल मिलाकर रेलवे ट्रेक की लंबाई 67368 किलोमीटर है जो चीन के 1,27,000 किलोमीटर के दायरे से काफी कम है। यह तो हुई रेलवे ट्रेक की लंबाई की तुलना भारत की रेलवे चीन की रेलवे की तुलना में काफी पीछे नजर आती है कुछ उदाहरण यहां रखने यह बात अपने आप ही स्पष्ट हो जाएगी।
  • भारत और चीन के रेलवे ट्रैक के इलेक्ट्रीफिकेशन की तुलना
भारत के कुल रेलवे ट्रेक में से इलेक्ट्रीफाइड ट्रेक 31-03-2018 के आंकड़ों के अनुसार 33057 किलोमीटर था जहां चीन के पास इलेक्ट्रीफाइड रेलवे ट्रेक करीब 87000 किलोमीटर है अर्थात चीन अपने कुल रेलवे ट्रैक का 68.50% इलेक्ट्रीफीकेशन कर चुका है वहां भारत अपने कुल ट्रेक के 27% और कुल लंबाई के केवल 49% रेलवे ट्रेक का इलेक्ट्रीफीकेशन कर पाया है। चीन के पास डबल या मल्टी ट्रेक की लंबाई करीब 72000 किलोमीटर है और भारतीय रेलवे के ऐसे आंकड़े मिल नहीं पाये है, ठीक ऐसे ही चीन के कुल रेलवे ट्रैक का करीब 19000 – 25000 किलोमीटर ट्रैक हाई स्पीड ट्रैक है वहां भारत की रेलवे के ऐसे आंकड़े नहीं मिल पाये है।
  • भारत और चीन की ट्रेनों की गति की तुलना
भारत और चीन की ट्रैनों की औसत गति की तुलना करने पर भारतीय रेलवे का एक “बेचारा” जैसा स्वरुप सामने आता है। भारत की ट्रैनों की जहां औसतन गति (Speed) 50.9 किलोमीटर प्रतिघंटा की है वहां चीन की ट्रैनों की औसतन गति 88 किलोमीटर प्रतिघंटा है । हाइ स्पीड ट्रेनों की रफ्तार की तुलना करने पर भारतीय रेलवे शायद रेलवे की शुरुआत के दौर में ही दिखती है। चीन की हाई स्पीड (लंबी दूरी) ट्रेनों की औसतन गति 300 किलोमीटर प्रतिघंटा है और भारतीय रेलवे की हाई स्पीड ट्रेनों की गति औसतन 88 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
यह तुलना केवल बुनियादी विषय पर ही की गई है, मुनाफा-नुकशान,कुल स्टेशनों की संख्या, यात्रियों की संख्या, माल की ढुलाई, रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध सुविधाएं, कर्मचारियों की कार्यक्षमता और कार्य के प्रति जागरूकता एवं प्रतिबद्धता, यात्रियों की सुविधा, सलामती, सुरक्षा एवं संरक्षा, भ्रष्टाचार, योजनाओं को कार्यान्वित करने की क्षमता और योग्यता तथा इच्छाशक्ति, रेल मंत्री जी के द्वारा अपनाया गया प्रांतवाद और परिणाम स्वरुप भारतीय रेलवे का असंतुलित विस्तार ऐसे कई पहलुओं पर विचार और तुलनात्मक समीक्षा हो सकती है और परिणाम क्या होगा यह हम जानते ही हैं।
चीन से ही तुलना क्यों ?
भारत के साथ कइ ऐसी बातें हैं जो चीन से मिलती जुलती है, वैसे भारत की समानता सबसे ज्यादा विषयों पर पाकिस्तान के साथ है परंतु जहां भारत आज विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ओं में शामिल हैं वहां पाकिस्तान करीब करीब दिवालिया हो चुका है। वैसे भारतीय रेलवे की तुलना जापान की रेलवे से करना संपूर्ण अनुचित होगा, दुसरे कीसी एशियन या युरोपीयन देश के साथ भारतीय रेलवे की तुलना करना भारतीय रेलवे के साथ अन्याय होता इसलिए भारतीय रेलवे की तुलना चीन की रेलवे से की है।
अब सवाल यह है कि T-19 या ट्रेन-19 क्या है ? इस लेख के अगले अंक में प्रकाशित होगा इस प्रश्न का उत्तर ।

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