कल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रांची से एक महात्वाकांक्षी एवं विश्व की सबसे बड़ी आरोग्य बीमा योजना की शुरुआत की आयुष्यमान भारत जो पंडित दीनदयाल उपाध्यायजी की जयंती 25 सितंबर से समग्र राष्ट्र में उपलब्ध हो जाएगी।
ईस योजना की कई विशेषताएं हैं जीसे जानना आवश्यक है और साथ साथ यह भी जानकारी आवश्यक है कि राष्ट्र को ऐसी योजना की आवश्यकता है कि नहीं।
पिछले काफी समय से यह देखा गया है कि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा ऐसा है जो कुछ गंभीर बिमारियों का इलाज करवाने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है । नैशनल सेंपल सर्वे ओर्गेनाईजेशन (NSSO) के हालही में आये आंकड़ों के अनुसार देश के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 85.9% परिवारों और शहरी क्षेत्रों में करीब 82 प्रतिशत परिवारों की पहुंच हेल्थकेयर इन्श्योरेंस तक की नहीं है । देश कुल आबादी की 17% आबादी अपनी कमाई का लगभग 10% हिस्सा केवल अपने और अपने परिवार के सदस्यों की बिमारियों के इलाज के पीछे खर्च करती है । इतना ही नहीं बल्कि हाल ही में ब्रिटीश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में एक बहुत ही गंभीर बात सामने आई है, ईस अध्ययन के अनुसार भारत के 5.5 करोड़ लोग केवल इसलिए गरीबी रेखा के नीचे आ गये क्योंकी उन्हें अपने या अपने परिवार के सदस्यों की बिमारियों के इलाज के पीछे काफी खर्च करना पडा, इनमें से 3.8 करोड़ लोग केवल दवाओं के खर्च के कारण ही गरीब हो गए हैं ।
यह तो हुई देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की स्थिति इसके सामने अगर हम आरोग्य सेवाओं की उपलब्धता देखें तो चित्र ओर भी चिंतित करनेवाला दिखाई देता है ।
समग्र राष्ट्र में प्रतिवर्ष जितने डॉक्टर्स अपनी पढ़ाई संपूर्ण करने बाद बहार आते हैं उनमें से केवल 5500 डॉक्टर्स ही सरकारी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत होते हैं । आज भारत में करीब 14 लाख डॉक्टर्स की कमी है । नैशनल हेल्थ प्रोफाइल के आंकड़ों के अनुसार देश में प्रत्येक 10000 लोगों के सामने एक सरकारी डॉक्टर उपलब्ध है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के मानक के अनुसार प्रत्येक 1000 लोगों की आबादी में एक डॉक्टर उपलब्ध होना चाहिए। वर्ष 2016 में श्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि देश में करीब 24 लाख पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है । यह आंकड़े सच में ईस बात की पुष्टि करते हैं कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की कोशिश जरुर करनी चाहिए, परंतु यक्षप्रश्न यह आता है कि सरकारी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को तुरंत भरना अतिदुष्कर कार्य था, डॉक्टर सरकारी स्वास्थ्य विभाग में नहीं जुड़ना चाहते हैं और अपनी नीजी अस्पताल चलाना ज्यादा पसंद करते हैं। यही हाल पैरामेडिकल स्टाफ का भी है।
समग्र राष्ट्र में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की क़रीब 35000 के आसपास है और सभी जगह जैसे आगे कहा ऐसे ही या डॉक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। इन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों एवं अस्पताल एक साथ करीब 13 लाख दर्दीओं को दाखिला देकर इलाज करने की क्षमता रखते हैं । यहां चिंता की बात साफ़ दिख रही है कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में एक साथ केवल 13 लाख दर्दीओं को ही दाखिला देकर इलाज करने की क्षमता है जीसे बढ़ाने की आवश्यकता है। यह आंकड़े सरकारी स्वास्थ्य विभाग की क्षमता दिखाते हैं वहां ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 60% से 65% लोगों को मजबुर होकर नीजी अस्पताल में इलाज करवाने जाना पड़ता है और शहेरों की 70% से 75% आबादी अपना इलाज करवाने नीजी अस्पतालों में जाती है, और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के मुकाबले नीजी अस्पतालों में इलाज करवाना आर्थिक रूप से काफी महेंगी होती है।
यह आंकड़े सरकारी बनाम नीजी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवाओं के हैं आईए अब सरकार के द्वारा आवंटित राशि का भी अवलोकन कर ही लेते हैं । 2015-16 में स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्य सभा में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की चर्चा में लिखित उत्तर देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर हैल्थकेयर के लिए GDP के 1.3% खर्च करते हैं। राज्य स्वास्थ्य मंत्री अनुप्रिया पटेल उन्होंने आगे बताया कि वर्ल्ड हैल्थ स्टेटीस्टीक्स 2015 के अनुसार प्रति कैपिटा हैल्थ केयर के पीछे भारत सरकार का खर्च 60 अमरीकी डॉलर था वहीं अमेरिका 4153 अमरीकी डॉलर खर्च करता था। अर्थात भारत विश्व के दूसरे देशों में होने वाले हैल्थ केयर के लिए खर्च के मुकाबले काफी कम खर्च करता है। 2016 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की बेहतरीन हैल्थ केयर सुविधा वाले देशों में भारत क्रमांक 112 पर था और हमारे पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देश हमसे आगे थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन बेहतर हैल्थ केयर सुविधा की सूची
भारत की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने के बाद ऐसा जरूर लगता है कि यहां कुछ ऐसा करने की आवश्यकता है जीससे ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गरीबों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो और उसके लिए नागरिक को अपनी आय का भुगतान न करना पड़े और ऐसा करने से राष्ट्र के गरीब लोगों की आय में वृद्धि होने के कारण उनका जीवन स्तर ऊंचा आ सकेगा । स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के कारण बढ़ी हुई आय का उपयोग गरीब अपने बच्चों की बेहतर पढ़ाई के लिए कर पाएंगे।
ऐसा ही कुछ विचार के साथ एवं राष्ट्र की स्वास्थ्य सेवाओं को गरीबों की पहुंच में लाने के लिए एक योजना बनाई गई है, जीसका कल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया और जो श्री दिनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितंबर से शुरू हो जाएगी।
ईस योजना की विस्तृत जानकारी अगले अंक में प्रकाशित की जाएगी।
धन्यवाद
देवेन्द्र कुमार
5 टिप्पणियां:
भारत के आम लोगो को प्रभावित कर ने वाली दुनिया की सब से बड़ी स्वास्थ्य योजना के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को दिल से धन्यवाद.. साधुवाद..
Best scheme by this government.. ����������
ખૂબ જ અદભુત યોજના...
જાણકારી બદલ આભાર...👍
Thankd
Khub khub aabhar modiji ka
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