शांघाई कोओपरेशन ओर्गेनाइजेशन अथवा एससीओ (SCO) राजनीति, अर्थशास्त्र, विकास और सेना के मुद्दों पर केंद्रित एक अंतर सरकारी संगठन है। इसकी शुरुआत 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं द्वारा 'शंघाई फाइव' के रूप में हुई थी। 2001 में sco यानी शांघाइ कोऑपरेशन ओर्गेनाइजेशन की रचना 2001 में हुई, आरंभ में इस संगठन में रशिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान और चीन को मिलाकर कुल 6 सदस्य देश थे। 2017 में भारत और पाकिस्तान के जुड़ने से स्थायी सदस्य देशों की संख्या 8 हुई । आर्मेनिया, अजरबेजान, कम्बोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्कीये यह 6 देश SCO के डायलॉग पार्टनर है और अफ़गानिस्तान, बेलारूस, इरान और मंगोलिया इसके निरिक्षक देश है । नवंबर 2021 में अब तक निरिक्षक रहे इरान को स्थायी सदस्य के रूप में जोडने की प्रक्रिया शुरु की गई थी। आम तौर पर एससीओ को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के पूर्वी समकक्ष के रूप में देखा जाता है। अपने भौगोलिक महत्व के कारण एशिया में एससीओ की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका है - यह उसे मध्य एशिया को नियंत्रित करने और क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को सीमित करने में सक्षम बनाता है। वर्तमान में संगठन के आठ सदस्य देश शामिल हैं। 2005 में कज़ाकस्तान के अस्ताना में हुए सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी पहली बार हिस्सा लिया। इन देशों की सूची में भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित चार पर्यवेक्षक देश और छह संवाद भागीदार देश शामिल थे भारत और पाकिस्तान 2017 में स्थायी सदस्य बने। एससीओ में वैश्विक आबादी का 40%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20% और दुनिया की 22% भूमि शामिल है। एससीओ ने संयुक्त राष्ट्र से भी संबंध स्थापित किए हैं और यह महासभा में पर्यवेक्षक है. एससीओ ने यूरोपीय संघ, आसियान, कॉमनवेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी संबंध स्थापित किए हैं.
2001 में संगठन का नाम बदलकर एससीओ कर दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है। यह संगठन देशों की राजनीति, अर्थव्यवस्था, विकास और सेना से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के साथ उनका समाधान करने की रणनीति बनाता है. संगठन का लक्ष्य आतंकवाद को रोकना, व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए जरूरी मुद्दों पर चर्चा करना है. हालांकि कोई भी कदम उठाने से पहले संगठन के सभी सदस्य देशों की मंजूरी लेना अनिवार्य है. इसके अलावा यह संगठन सदस्य देशों के बीच कारोबार के साथ टेक्नोलॉजी, कल्चर और रिसर्च को साझा करते हैं.
ईरान एससीओ का नया सदस्य है, जिसे उज्बेकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के 2022 शिखर सम्मेलन में स्थायी सदस्य देशों में जोड़ा गया था। आठ एससीओ सदस्य देशों ने ईरान की स्थिति को पर्यवेक्षक से पूर्ण सदस्य तक उन्नत करने के लिए अपनी सहमति दी। ईरान ने 2008 में पूर्ण सदस्य के रूप में संगठन में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। यह 15 वर्षों से अधिक समय तक पर्यवेक्षक सदस्य था। समरकंद शिखर सम्मेलन में ईरान को एससीओ के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। ईरान 2023 में भारत द्वारा आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन से पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में भाग लेगा।
कैसे
चलता है
SCO ?
SCO का मुख्यालय बैजिंग चीन में है, SCO की आधिकारिक भाषा चीनी और रशियन है। एससीओ में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था राज्य परिषद (एचएससी) के प्रमुख हैं। एचएससी वर्ष में एक बार बैठक करती है और एससीओ के सभी महत्वपूर्ण मामलों पर दिशानिर्देश और निर्णय अपनाती है। वर्तमान महत्वपूर्ण आर्थिक और अन्य सहयोग मुद्दों को हल करने के लिए संगठन की बहुपक्षीय सहयोग रणनीति और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (एचजीसी) वर्ष में एक बार बैठक करती है। संगठन के दो स्थायी निकाय हैं - पहला ताशकंद स्थित क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) की कार्यकारी समिति है और दूसरा बीजिंग स्थित एससीओ सचिवालय है। एससीओ आरएटीएस की कार्यकारी समिति के निदेशक और एससीओ महासचिव को 3 साल की अवधि के लिए राज्य प्रमुखों की परिषद द्वारा नियुक्त किया जाता है।