भारतने अपना मल्टीपल इंडिपेन्डेन्टली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) बना लिया है. इस मिसाइल का अंतिम सफल परीक्षण 11 मार्च 2024 में ओडिशा के तट पर किया गया था. इस मिसाईल से चीन के सुरक्षा विशेषज्ञो में काफी चर्चा हो रही है जिस चर्चा का सूर भारत की बढती शक्ति और चीन का डर दर्शाता है.
मल्टीपल इंडिपेन्डेन्टली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक का पहला सफल परीक्षण अमेरिकाने 1970 में किया था. अमेरिकाने एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को MIRV तकनीक के साथ तैनात किया था. यह वो समय था जब विश्व अमेरिका और सोवियेत संघ (USSR) के सहयोगी देश ऐसे दो गुट में बंटा हुआ था और अमेरिका और सोवियेत संघ (USSR) दोनो के बीच शस्त्रो की होड लगी हुई थी. अमेरिकाने अपनी तकनिकी सर्वोपरिता को दर्शाते हुए 1971 में एक MIRVed सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) भी तैनात कर दी. अब सोवियत संघ चूप रहेने वाला नही थी सोवियेत संघने भी ताबडतोब इस तकनीक को डवलप कर लिया और 1970 के दशक के अंत तक अपनी ICBM और SLBM तकनीक में MIRV का उपयोग करना आरंभ भी कर दिया. वर्तमान में इन दो देशों के अतिरिक्त ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के पास भी MIRV तकनीक है.
क्या है मल्टीपल इंडिपेन्डेन्टली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक?
'मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल' (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle (MIRV) एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग करके एक ही मिसाइल में कई वारहेड लगाए जा सकते हैं इतना ही नही प्रत्येक वारहेड को अलग-अलग लक्ष्य को भेदने के लिए निर्देशित भी किया जा सकता है. ये वारहेड एक ही स्थान पर भी अलग-अलग समय पर गिराए जा सकते हैं. इन वारहेड्स में डिकॉय भी शामिल हो सकते हैं. डिकॉय का मतलब है कि ये हथियार दुश्मन को गुमराह करने के लिए बनाए जाते हैं.
भारत के वैज्ञानिक वर्ष 2012 से MIRV तकनीक पर काम कर रहे थे. इस तकननीक को पहले अग्नि-6 मिसाइल के लिए बनाया जा रहा था, परंतु बाद में इसे अग्नि-5 मिसाइल पर लगाया गया. अमेरिका पहला देश था जिसने MIRV तकनीक बनाई थी.
भारत को क्यों बनाना पडा अग्नि-5 मिसाइल?
वर्तमान परिप्रेक्ष्य से देखे तो भारत को सबसे बडी चुनौती चीन से है और चीन लगातार अपने शस्त्रो को बढा रहा है, अपग्रेड कर रहा है इस को देखते हुए भारत को भी अपनी शक्ति बढानी आवश्यक है.अग्नि-5 मिसाइल का मुख्य उद्देश्य भी चीन के विरुद्ध भारत की परमाणु क्षमता को बढ़ाना है. अग्नि-5 मिसाइलसे पहले भारत के पास सबसे लंबी दूरी वाली मिसाइल अग्नि-3 थी और अग्नि-3 की रेंज 3500 किमी थी. अग्नि-3 की रेंज को देखते अगर अग्नि-3 को मध्य भारत से दागा जाता है तो चीन के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में स्थित लक्ष्यों तक पहुंचने में सक्षम नही है. चीनने अपने प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को भारत की मिसाइलों की रेंज से दूर विकसित किया है जो उसके पूर्वी समुद्र तट पर स्थित हैं. अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5000 किलोमीटर है और अग्नि-5 की रेंज में बीजिंग सहित चीन के अनेक प्रमुख स्थान आ जाते है. भारत के पास अग्नि श्रेणी के अग्नि-1 से अग्नि-5 तक कई तरह की अग्नि मिसाइलें हैं. इनकी रेंज अलग-अलग है., अग्नि-1 कम दूर तक मार करने वाली बेलेस्टिक मिसाइल है जिसकी रेंज 700 किमी से अधिक है. अग्नि-2 भारत की मध्यम दूरी तक मार करनेवाली मिसाइल है और उसकी रेंज 2000 से 5000 किमी तक है. अग्नि-3 यह भारत की मध्यम दूरी कि मिसाइल है जिसकी रेंज 3500 किमी से ज्यादा है. अग्नि-पी (अग्नि प्राइम), इस मिसाइल की रेंज 1000 से 2000 किमी तक है, इस मिसाइल की बडी खासियत यह है कि यह मिसाइल सड़क और रेल प्लेटफार्म से लॉन्च की जा सकती है, जिससे इसे तेजी से तैनात और लॉन्च करना आसान हो जाता है. अब आती है अग्नि-5, यह मिसाइल भारत की लंबी दूरी तक सटिक लक्ष्य भेदनेवाली मिसाइल है और इस मिसाइल की रेंज 5000 किमी तक है. अग्नि-6, भारत की पहेली इन्टर कोन्टिनेन्टल बैलेस्टिक मिसाइल है और इसकी रेंज 7000 किमी से ज्यादा है.
क्या है अग्नि-5 मिसाइल की खासियते?
अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की कैटेगरी में आती है और उसकी रेंज 5 हजार किमी है. अग्नि-5 में MIRV तकनीक होने के कारण अग्नि-5 बहुत घातक बन जाती है क्यों कि इस तकनीक कि वजह से अग्नि-5 मिसाइल एक ही वार में अनेक लक्ष्यों को भेद सकती है, और यह सब से बडा कारण है कि दुश्मन के लिए अग्नि-5 मिसाइल एक बड़ा खतरा बन जाती है. अग्नि-5 मिसाइलमें खास गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम भी लगाए गये हैं जो इसे सटीक जगह पर लक्ष्य साधने में सहाय करते हैं.
MIRV तकनीक को मुख्य रूप से हमला करने की ताकत बढ़ाने के लिए डिजाइन
किया गया था, न
कि बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को हराने के लिए. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है
कि एक ही मिसाइल में कई वारहेड लगाए जा सकते हैं. इसका अर्थ है कि एक ही मिसाइल से
अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला किया जा सकता है, जिससे दुश्मन के लिए इसे रोकना
अत्यंत कठिन हो जाता है.
एक साधारण मिसाइल की तुलना में अग्नि-5 को रोकना सरल नहीं होता है, क्योंकि साधारण मिसाइल में सिर्फ एक वारहेड होता है, जबकि अग्नि-5 में एक से ज्यादा वारहेड्स लगाए जा सकते हैं. ये वारहेड्स न केवल अलग-अलग स्पीड से बल्कि अलग-अलग दिशाओं में छोड़े जा सकते हैं. जब एक मिसाइल कई वारहेड्स को छोड़ती है, तो दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को सभी वारहेड्स को एक साथ रोकने के लिए तैयार रहना पड़ता है, जो कि बहुत कठिन होता है.
भारत कि अग्नि-5 मिसाइल से डरा चीन
मार्च 2024 में जब अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया गया उसके बाद चीन का बयान सामने आया था चीन ने बताया कि अग्नि-5 की रेंज 5000 किमी नहीं अपितु 8 हजार किमी से भी ज्यादा है.
चीन के विदेश
मंत्रालय के एक प्रवक्ता का बयान आया था कि चीन और भारत बड़े विकासशील देश हैं. हमें
दोनों पक्षों को वर्तमान में अच्छे संबंधों को संजोना चाहिए. इससे क्षेत्र में
शांति और स्थिरता बनाए रखने में सकारात्मक योगदान होगा. मिसाइल का परीक्षण भारत के
लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. इससे पता चलता है कि भारत उन देशों में शामिल हो गया है
जिनके पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. लेकिन असल में यह कोई खतरा नहीं है. भारत को
चेतावनी दी कि अपनी ताकत को अधिक आंकना नहीं चाहिए.
इसके बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि हालांकि भारत के पास ऐसी मिसाइलें हो सकती हैं जो चीन के किसी भी हिस्सों तक पहुंच सकती हैं, लेकिन भारत का चीन के साथ बाकी आम हथियारों की दौड़ में कोई मौका नहीं है.
वहीं चीनी विशेषज्ञों के सरकारी चैनल सीसीटीवी पर कहा कि अग्नि-5 मिसाइल वास्तव में 8000 किलोमीटर तक जा सकती है. भारत सरकार ने जानबूझकर मिसाइल की क्षमता को कम करके बताया है. इसका कारण अन्य देशों को चिंता न हो इसलिए है.