2016 में भारत ने रशिया से आधुनिक विश्व में मिसाइल शिल्ड कही जाने वाली S-400 सुरक्षा प्रणाली खरीदने का विचार किया था। भारत के इस फैसले से अमेरिका को अचंभित कर दिया था, और अमेरिका ने भारत एस-400 सुरक्षा प्रणाली न खरीदें इसके लिए भारत सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया था। अमेरिका ने साम, दाम, दण्ड, भेद हर हथियार अपनाया जिसमें उसके “काटसा (CAATSA)” कानुन के तहत भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है एसी धमकी भी दी थी, गौरतलब है कि इसी कानून के अंतर्गत अमेरिका रशिया, ईरान, उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगा चुका है। कुछ संरक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के विरोध करने का कारण रशिया के वैश्विक स्तर पर बढ़ते कद को लेकर था।
परंतु भारत ने अमेरिका के विरोध, दबाव को नजरंदाज कर दिया और रशियन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान एस-400 सुरक्षा प्रणाली के सौदे को अंतिम स्वरुप दिया।
भारत ने अमेरिका जैसी वैश्विक शक्ति के विरोध करने के बावजूद यह सुरक्षा प्रणाली को खरीदने पर क्युं बल दिया ? भारत के लिए S-400 मिसाइल शिल्ड कही जाने वाली सुरक्षा प्रणाली क्यों आवश्यक है ? जबतक हमें भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन की मिसाइलों की जानकारी न हो यह दोनों सवालों का जवाब नहीं मिल सकता । इस दोनों सवालों के जवाब में हमने इस श्रेणी के प्रथम खंड में पाकिस्तानी मिसाइलों का परिचय और द्वितिय खंड में चीन की मिसाइलों का परिचय करने का प्रयास किया था इस खंड में चीन की कुछ और मिसाइलों का परिचय करने का प्रयास करते हैं।
- 9. डोंग फेंग – 15, DF – 15 (CSS 6) : DF-15 चीन की सेना में 1990 से ओपरेशनल है, यह घन ईंधन प्रोपेलेंट संचालित कम दूरी तक (SRBM) प्रहार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, इसकी प्रहार क्षमता 600 किलोमीटर तक की है, 500-750 किलोग्राम परंपरागत हथियार के अलावा यह मिसाइल 50-350Kt तक परमाणु हथियार भी वहन करने में सक्षम है। डोंग फेंग 15 को सब से पहले बैजिंग इंटरनेशनल डिफेंस एक्सपो में प्रर्दशित किया गया। DF-15 उस ‘M’ श्रेणी की मिसाइल है जिसका विकास 1984 में निर्यात करने हेतु किया गया और निर्यात करने के लिए इसका नाम M-9 रखा गया।
- 10. डोंग फेंग 15A (DF – 15A): डोंग फेंग 15ए अपने पुरोगामी डोंग फेंग 15 से थोडी लंबी और अधिक सटीक है। 2009 में आई रिपोर्ट के अनुसार डीएफ-15ए की प्रहार क्षमता 900 किलोमीटर तक की है।
- 11. डोंग फेंग -15B (DF-15B) : DF-15B को वर्ष 2009 में बैजिंग की सैनिक परेड में शामिल किया गया तब विश्व को जानकारी मिली। वैसे डीएफ-ए और डीएफ-बी दोनों एक जैसी ही है परंतु DF-15B की सटीकता DF-15A के मुकाबले काफी अच्छी है जबकि प्रहार मर्यादा 50 से 800 किलोमीटर तक की है जो कि उस पर रखें गए हथियारों के साथ बदलती है।
- 12. डोंग फेंग 15C (DF-15C) : डोंग फेंग 15C हकीकत में 15B का संवर्धित संस्करण है। वर्ष 2007 में सार्वजनिक हुइ एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने यह मिसाइल भूमिगत बंकर एवं भूमिगत सैनिक हथियारों के स्थानों को नष्ट करने हेतु विकसित किया है ।
- 13. डोंग फेंग 16 (DF-16) : डोंग फेंग-16 घन ईंधन प्रोपेलेंट से संचालित शोर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल अपने साथ 1000 किलोग्राम वजन के हथियारों के साथ 800-1000 किलोमीटर तक प्रहार करने के लिए सक्षम है, इसे तीन MIRV और परमाणु हथियार से भी लैस किया जा सकता है।
- 14. डोंग फेंग 41, DF – 41 (CCS-X-10) : यह मिसाइल का अभी अंतिम परीक्षण नहीं किया गया है। जो जानकारियां उपलब्ध है उस पर विश्वास करें तो इस आंतरखंडिय बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) की ओपरेशनल प्रहार रेंज 12000 – 15000 किलोमीटर तक की है। कुछ संरक्षण विशेषज्ञों की मानें तो डोंग फेंग 41 विश्व की सबसे तेज मिसाइल है जो अमेरिका पर केवल 30 मिनट में प्रहार करने की क्षमता रखती है। इसकी 10 MIRVed वोरहेड क्षमता इस को ओर घातक बनाती है। 80000 किलोग्राम वजन वाली यह मिसाइल थ्री स्टेज घन ईंधन प्रोपेलेंट से संचालित है जो 2500 किलोग्राम हथियारों का जखीरा वहन करने में सक्षम है।
- 15. होंग निआओ श्रेणी (HN-1) : होंग निआओ श्रेणी की इन्टरमीडिएट रेंज क्रुज मिसाइल के विकास की शुरुआत करीब 1970 के दशक में की गई। इस प्रोजेक्ट का प्राथमिक लक्ष्य 3000 किलोमीटर तक प्रहार और परमाणु क्षमता संपन्न क्रुज मिसाइल का विकास करना था। होंग निआओ श्रेणी की क्रुज मिसाइल धरती, जल, वायु और सबमरीन से दागी जा सकती हैं। होंग निआओ 1 HN-1 करीब 1200 किलोग्राम वजन के साथ टर्बोजेट से संचालित सब सोनिक क्रुज मिसाइल है जो 400 किलोग्राम हाइ एक्सप्लोसिव (HE) अथवा पारंपरिक हथियारों या 20-90kT परमाणु हथियार का वहन करने में सक्षम है। इस इन्टरमीडिएट रेंज क्रुज मिसाइल को वर्ष 1996 में चीन ने अपनी सेना में शामिल किया है।
- 16. HN 2 : एच.एन.-2 मिसाइल एच.एन. 1 का संवर्धित स्वरुप है जिसकी रेंज बढ़ाई गई है। जमीन और पानी (जहाज) से लोंच की जा सकती HN-1A और HN-1B की रेंज 1800 किलोमीटर तक की है जबकि सबमरीन से दागी जा सकती HN-2C की प्रहार मर्यादा 1400 किलोमीटर तक की है। HN-2 का प्रथम परीक्षण 1995 में किया गया और 2002 में इसे सेना में शामिल किया गया। 2010 के अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास 200 से 500 परमाणु हथियार संपन्न HN-2 मिसाइलें तैनात हैं।
- 17. HN-3 : वर्ष 1999 में पहली बार इस मिसाइल का परीक्षण किया गया और वर्ष 2007 में चीनी सेना शामिल किया गया। HN-3A जमीन और पानी (जहाज) से प्रहार करने की क्षमता रखती है और इसकी मारक रेंज 3000 किलोमीटर की है, जबकि HN-3B सबमरीन से मार करने वाली मिसाइल है जिसकी मारक रेंज 2200 किलोमीटर की है। वैसे ऐसा माना जाता है कि HN-3 श्रेणी रशिया की A5-15B कैंट और अमेरिका की टौमहौक तकनीक पर आधारित है।
- 18. जु लांग 2 (Ju Lang 2) JL-2 (CSS–NX-14) जेएल-2 को गोल्फ क्लास टाइप 031 सबमरीन में लगाया गया और JL-2 का सबसे पहला परीक्षण वर्ष 2002 में किया गया और उसके बाद लगातार 2003, 2004, 2005, 2012 और 2015 में करने के बाद आखिर 2015 में सेना में शामिल कर लिया गया। जेएल-2 मिसाइल 2000 से 8000 किलोमीटर तक 1050 से 2800 किलोग्राम वजन के हथियारों के साथ प्रहार कर सकती हैं। इस मिसाइल को 1Mt परमाणु हथियार से लैस किया जा सकता है और 3-8 कम क्षमता के MIRVed हथियार से भी लैस किया जा सकता है।
भारत के परंपरागत दुश्मन माने जाने वाले दोनों दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन की मिसाइल क्षमता और मिसाइलों का परिचय करने के बाद यह खुद-ब-खुद समज में आ जाता है कि भारत के लिए सक्षम मिसाइल शिल्ड यानी मिसाइल हमलों के सामने एक कवच, बख्तर का होना अनिवार्य है और भारत की अवकाश सीमाओं की सुरक्षा के लिए रशिया द्वारा विकसित एवं निर्मित विश्व की सबसे श्रेष्ठ एंटी मिसाइल सुरक्षा प्रणाली S-400 का होना अतिआवश्यक है ।
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