शनिवार, 3 नवंबर 2018

Statue of Equality : डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा


स्वतन्त्रता से पहले और उसके बाद का भारत का इतिहास गौर से देखा जाए तो एक बात स्पष्ट नजर आती है कि कई ऐसे राष्ट्रपुरुष है जिन्होंने नुतन राष्ट्र निर्माण में अपना अतुलनीय योगदान दिया है, जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल रक्त की बुंद भी बहाये बीना 562 रजवाड़ों को भारतीय संघ में जोड़कर खंड खंड भारत को एकजुट किया। जिन्होंने भारत के बाहर रहकर, आजाद हिंद फौज बनाकर स्वतंत्रता का युद्ध छेड़ा और सरकार भी बनाई ऐसे सुभाषचन्द्र बोस, स्वतंत्र भारत के संविधान के प्रमुख शिल्पकार डॉ बाबासाहेब आंबेडकर, ऐसे अनेक उदाहरण मिलेंगे, और एक खास बात भी तुरंत दिखाई देंगी की एसे अनेक महापुरुषों के राष्ट्र के प्रति योगदान को भुलाने की, मिटाने की और उनकी प्रतिभा के मुकाबले काफी कम दिखाने की कोशिश की गई या जानबूझकर या फिर…….?? यह देखकर याद आ जाता है ” History is written by victors” ।
सूर्य के प्रकाश को आप रोक सकते हो परंतु ढंक नहीं सकते। इसी वर्ष 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा Statue of Unity का अनावरण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया । भारत की सरकार की सर्व प्रथम रचना की 75वीं जयंति पर उस सरकार के नेता सुभाषचंद्र बोस को वंदना करने हेतु स्वतंत्रता के पश्चात पहली बार लाल किले पर तिरंगा फहराया गया। डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के राष्ट्र के प्रति योगदान को कृतज्ञ राष्ट्र के द्वारा ऋण स्वीकार करने के लिए महाराष्ट्र के मुंबई में दादर में स्थित शिवाजी पार्क में चैत्य भूमि के पास इंदु मिल में 12.5 एकड़ में करीब 250 फ़ीट ऊंची Statue of Equality 2020 तक बनकर तैयार हो जाएगी ।
Statue of Equality
दिनांक 11 अक्टूबर 2015 को वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई के शिवाजी पार्क में स्थित इंदु मिल जो इंडिया युनाइटेड मिल -6 के नाम से भी जानी जाती है और चैत्य भूमि से बहुत ही निकट है वहां डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की 350 फ़ीट ऊंची प्रतिमा का भूमिपूजन किया। बहुत समय से मुंबई में जहां डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का अंतिम संस्कार किया गया था वहां एक स्मारक बनाने की मांग की जा रही थी और पांच वर्ष पहले केन्द्र की UPA सरकार ने यहां स्मारक बनाने की मंशा जताई थी और तय भी कीया था परंतु जमीन अधिग्रहण के लिए कोई भी निर्णय नहीं ले पाई। जो 12.5 एकड़ जमीन में इस योजना का अवतरण होना था उसमें से 6 एकड़ जमीन RCZ के अंतर्गत थी । इंदु मिल भी National Textile Corporation (NTC) के पास थी नैशनल टैक्सटाइल कोर्पोरेशन और महाराष्ट्र सरकार के बीच में जमीन की कीमत के विषय में विवाद था नैशनल टैक्सटाइल कोर्पोरेशन जमीन की कीमत ₹3600 करोड़ मांग रहा था वहां महाराष्ट्र सरकार 1413.48 करोड़ पर अड़ी थी। इस विवाद के चलते यह स्मारक बनाने की योजना पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाईं। वर्तमान NDA सरकार ने इंदु मिल की वो 6 एकड़ जमीन महाराष्ट्र सरकार को हस्तांतरित करदी।
Statue of Equality स्टेच्यु ऑफ इक्वालिटी इंदु मिल की जमीन पर ही क्यों ?
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अपने परिनिर्वाण तक दिल्ली में रहते थे, उनका परिनिर्वाण 06/12/1956 के दिन दिल्ली में हुआ था। उनकी अंतिम संस्कार क्रीया मुंबई के समुद्र तट पर की गई थी जो जगह चैत्य भूमि के नाम से देश विदेश में विख्यात है, इंदु मिल चैत्य भूमि के ठीक निकट है इसलिए इंदु मिल की जमीन पर स्टेच्यु ऑफ इक्वालिटी Statue of Equality ऐसे निर्माण किया जाएगा जिससे दोनों भूमि एक दुसरे से जुड़ी रहें।
Statue of Equality की विशेषताएं
  • Statue of Equality डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होंगी
  • Statue of Equality अमेरिका की Statue of Liberty से भी ऊंची होंगी
  • मुंबई के दादर में शिवाजी पार्क में स्थित इंदु मिल की जमीन पर स्टेच्यु ऑफ इक्वालिटी का भव्य निर्माण होगा।
  • स्टेच्यू ऑफ इक्वालिटी 14 अप्रैल 2020 तक तैयार हो जायेगा।
  • यह प्रतिमा की डिजाइन, स्टेच्यु ऑफ युनिटी के डिजाइन कर्ता, पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित श्री राम सुतार बनायेंगे।
  • Statue of Equality की डिजाइन संसद भवन में प्रस्थापित डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा जैसी होगी।
  • Statue of Equality की ऊंचाई 100 फ़ीट की बुनियाद पर 250 फ़ीट होगी अर्थात् प्रतिमा जमीन से 350 फ़ीट की ऊंची होंगी।
  • Statue of Equality कांसे की बनाई जाएगी।
  • प्रतिमा के बैस में कमल के फूल बनें होंगे।
  • आर्ट गैलरी में डॉ बाबासाहेब आंबेडकर से जुड़ी कलाकृतियां रखी जाएगी।
  • करीब 50,000 स्कवैर फ़ीट में लाइब्रेरी बनाने का आयोजन है।
  • इस परिसर में Gallery of struggle बनाई जाएगी।
  • 39622 स्कवैर फ़ीट में संग्रहालय बनाने की योजना है।
  • इस परिसर में सबसे आकर्षक बौद्ध स्तूप जैसी उपर से खुली इमारत होंगी जो 25,000 स्कवैर फ़ीट में बने तालाब के बीच में बनाई जाएगी।
  • इस परिसर में करीब 13,000 लोग एक साथ बैठकर विपसना कर सकते हैं।
  • डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के चवदार तालाब आंदोलन पर ध्वनि प्रकाश शो आयोजित किया जाएगा।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भारत के उन राष्ट्र पुरुष में से एक है जिन्हें भुलाने की कोशिश की गई, उनके राष्ट्र के प्रति योगदान को मिटाने की कोशिश की गई, दोनों प्रयास कामयाब होते न देखकर उनको किसी जाति विशेष के नेता के रूप में प्रर्दशित किया गया।
Statue of Equality डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के वो सच्चे राष्ट्रभक्त की छवि राष्ट्र के सामने रखने में सफल होगा।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के ही शब्दों को याद करते हुए मेरी लेखनी को विराम देता हुं।
We are Indian firstly and lastly
हम भारतीय हैं पहले और अंत में भी भारतीय हैं
– डॉ बाबासाहेब आंबेडकर

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