मंगलवार, 1 जनवरी 2019

नये भारत की नई ट्रेन - ट्रेन 18 : पार्ट 2

भारतीय रेलवे की सर्व प्रथम इंजनलेस ट्रेन, ट्रेन 18 अब भारत की सबसे तेज ट्रेन बन गई जब पीछले दिनों इस ट्रेन ने कोटा – सवाई माधोपुर के बीच हुए परिक्षण में 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार हासिल कर लिया और गतिमान एक्सप्रेस का 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार का किर्तिमान तोड़कर अपने नाम कर लिया। इस समय ICF के आधिकारिक सूत्रों का मानना है कि सिग्नल सिस्टम, रेलवे ट्रैक वगैरह सही हो तो यह ट्रेन अपनी महत्तम रफ्तार 200 किलोमीटर प्रतिघंटा पा सकती है।
वैसे भारतीय रेलवे की ईस सबसे तेज ट्रेन के विषय में बहुत कुछ लिखा और दिखाया गया है ही परन्तु इस ट्रेन के विषय में जानने की उत्सुकता थम नहीं रही है।
ट्रेन 18 के विषय में जानने से पहले हमारे पास भारतीय रेलवे की तुलनात्मक जानकारी अति आवश्यक है। भारतीय रेलवे और चाइनीज रेलवे के विकास की समीक्षाकरने का प्रयास इस श्रेणी के प्रथम भाग में किया गया था।
ट्रेन 18 को प्रधानमंत्री की महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया के अंतर्गत इंटीग्रल कोच फेक्ट्री, चेन्नई ने विकसित किया है। इस ट्रेन को डिजाइन करने, विकसित करने और बनाने में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई को केवल 18 महिनों का कम समय लगा है। भारत की इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन T 18 के एक रैक की लागत केवल ₹100 करोड़ आई है जो कि इसी प्रकार की युरोपीयन ट्रेन से करीब 40% कम है, बताया जाता है कि जैसे जैसे इसका उत्पादन बढ़ेगा किमत ओर कम हो जायेगी। वर्तमान में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई ने 1 युनिट बनाकर भारतीय रेलवे को समर्पित कर दिया है जबकि भारतीय रेलवे ने 2 ओर ट्रेन बनाने का प्रस्ताव रखा है। भारतीय रेलवे को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री मार्च 2019 तक दुसरी ट्रेन 18 की रैक सुपर्द करेंगी। ट्रेन 18 शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेने की योजना बनाई गई है।
इस ट्रेन को वर्ष 2018 में ही 29 दिसंबर के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ करने की योजना बनाई गई थी जो अब मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CCRS) की रिपोर्ट को बोर्ड द्वारा अनुमोदित करने के बाद जनवरी 2019 में होने की संभावना है। जानकारों के अनुसार इस रिपोर्ट में कुछ शर्तें और कुछ सुझाव दिए गए हैं, ट्रेन को 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने से पहले उस सुझावों पर अमल करना होगा। गौरतलब है की 160-200 किलोमीटर प्रतिघंटा रफ्तार से दौड़ने में सक्षम इस ट्रेन ने ट्रायल के दौरान 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हासिल कर दिखाया है, सीसीआरएस ने इस ट्रेन को 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाने की सशर्त अनुमति दे दी है, सीसीआरएस ने जो शर्तें रखी है उनमें बाड़बंदी प्रमुख एक है। सुरक्षा के लिहाज से इस ट्रेन को 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाने के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ बाड़बंदी की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि हादसों से बचा जा सके। जैसे कि पहले बताया कि यह ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी साथ ही यह खबर है कि इस ट्रेन को सबसे पहले दिल्ली – वाराणसी के बीच में चलाने का प्रस्ताव है।
ट्रेन 18 की विशेषताएं
  • इस ट्रेन को मेक इन इंडिया के अंतर्गत बनाया गया है।
  • ट्रेन 18 की डिजाइन एयरोडायनामिक इसे बुलैट ट्रेन जैसा लूक देता है।
  • ट्रेन 18 की कल्पना, डिजाइन और निर्माण भारत में ही इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई ने किया है।
  • ट्रेन 18 की कल्पना, डिजाइन और निर्माण संपूर्ण रुप से भारतीय तकनीक से किया गया हैं।
  • इस ट्रेन के एक रेक का खर्च केवल ₹100 करोड़ है जो उत्पादन बढ़ने से कम होता जाएगा।
  • इस ट्रेन को रेकोर्ड 18 महिनों में विकसित किया गया है जो कीसी विकसित देशों की तुलना में करीब आधा है।
  • इस ट्रेन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें इंजन नहीं है, सेल्फ प्रोपेल्ड है।
  • ट्रेन 18 के दोनों अंतिमो पर लोको पायलट, ट्रेन चालक की केबिन है।
  • इस ट्रेन में कुल मिलाकर संपूर्ण रुप से वातानुकूलित 16 कोच होंगे।
  • मुंबई – अमदावाद, चैन्नाई – बेंगलुरु, दिल्ली – भोपाल जैसे शताब्दी एक्सप्रेस के रुट पर क्विक इन्ट्रा डे के लिए खास है।
  • परंपरागत ट्रेनों की तुलना में ट्रेन 18 में 50% ज्यादा बिजली के कारण अच्छा एस्कलेरेशन होगा।
  • अन्य ट्रेनों की तुलना में 10% – 15% कम ट्रावेल समय लगेगा।
  • ट्रेन 18 में 16 संपूर्ण वातानुकूलित कोच होंगे, प्रत्येक 14 कोच में 78 सीट्स और 2 एक्जीक्यूटिव चेर कार में 52 सीट्स होंगी।
  • दिव्यांग प्रवासीओं के लिए 2 विशेष शौचालय और शिशुओं के देखरेख के लिए अलग व्यवस्था की गई है।
  • इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन में प्रवासीओं के लिए वाई-फाई, जीपीएस, बायो वेक्युम सिस्टम और इन्फोटैनमेन्ट है।
  • एक्जीक्यूटिव चेर कार की सीट्स रोटेटिंग टेक्नोलॉजी से लैस होने से 360° घुमाकर प्रवासी बाहर के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं।
  • ट्रेन 18 में स्मार्ट ब्रेकिंग सिस्टम और इलेक्ट्रॉ-न्युमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम है।
  • स्पेशल पेन्ट्री युनिट होगा।
  • प्रत्येक कोच में इमरजेंसी स्विच दिया गया है।
  • यात्रीओं की सुरक्षा के लिए प्रत्येक कोच में 6 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और एक सीसीटीवी कैमरा ट्रेन चालक की केबिन के बाहर लगा है।
  • यात्रीओं को सुचना हेतु प्रत्येक कोच को एलईडी स्क्रीन से लैस किया गया है।
  • ट्रेन की दोनों तरफ ओटोमेटिक स्लाइडींग दरवाज़ें होंगे।
  • भारत की यह पहली ऐसी ट्रेन है जहां यात्री लोको पायलट (ट्रेन चालक) की कैबिन के दरवाजे तक जाकर ट्रेन की संचालन पैनल देख सकता है।
विडियो सौजन्य - भारतीय रेलवे

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