बुधवार, 26 अप्रैल 2023

विश्व में कितनी भाषाएं बोली जाती है ?




 विश्व में कितनी भाषाएं हैं, कितनी भाषाएं बोली जाती है वैसे इसका सटीक  उत्तर देना संभव नहीं है परंतु  एक अनुमान के अनुसार विश्व में कुल भाषाओं की संख्या करीब 7000 से ज्यादा है । दुर्भाग्यवश संचार के माध्यमों में लगातार वृद्धि होने के साथ कई ऐसी छोटी छोटी भाषाएं है जो लुप्तप्राय है और कई ऐसी भाषाएं है जो लुप्त होने के कगार पर आ गई है। जब कोइ भाषा लुप्त होती है तो उस भाषा के लुप्त होने के साथ ही उसे बोलने वालों की संस्कृति भी समाप्त हो जाती है। आज के समय में अगर मोटे तौर पर देखे तो विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या के द्वारा केवल 23 भाषाएँ हैं जिनका विशेष प्रयोग किया जाता है।

विश्व में सब से ज्यादा बोली जानेवाली भाषा कौन सी है ?

जब किसी भी विषय की तुलनात्मक बात होती है तो सदैव हम यह सोचते है के विश्व में सब से आगे उस विषय में कौन होगा ठीक ऐसे ही जब भाषा की बात करते है तो हमें स्वाभाविक ही प्रश्न होता है की विश्व में सब से ज्यादा किस भाषा का प्रयोग किया जाता है ? कौन सी भाषा सब से ज्यादा बोली जाती है और हमारी हिंदी भाषा का नंबर किस पायदान पर आता है ? 

विश्व में सर्वाधिक बोली जानेवाली भाषा

विश्व में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा मैंडरिन है जो चीन में बोली जानेवाली प्रमुख भाषा है जिसे चीनी भाषा भी कहा जाता है। विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में प्रथम स्थान लगभग 89.8 करोड़ लोगों द्वारा बोली जानेवाली इस सी भाषा मैंडरिन को प्राप्त है। 

विश्व में सर्वाधिक बोली जानेवाली द्वितिय भाषा

दुसरे नंबर पर विश्व में 43.7 करोड़ लोगों द्वारा जिस भाषा को बोला जाता है ऐसी स्पेनिश भाषा को जाता हैस्पेनिश भाषा स्पेन, चिली, मेक्सिको, पनामा, अर्जेन्टीना, पराग्वे, पेरु, बोलीविया, कोस्टा रीका, अल सेल्वाडोर, क्यूबा, उरुग्वे, वेनेजुएला आदि देशों में बोली जाती है। विश्व में सब से ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर उस देश की भाषा है जिसके लिये कहा जाता था की उसका सुरज कभी डुबता नही है, हाँ तीसरे नंबर पर है अंग्रेजी भाषा, विश्वभर में अंग्रेजी बोलने वाले लोगो की संख्या करीब 37.2 करोड़ है और यह भाशा जिस देशों में बोली जाती है वह सारे देश कभी ना कभी ब्रिटिश उपनिवेशक देश रहे है । वर्तमान समय में अंग्रेजी भाषा विज्ञान, कंप्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की मुख्य भाषा है। इसके अलावा यह दुनिया के कई देशों की राजभाषा भी है। इसे दुनिया की पहली अंतरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। 

विश्व में सब से ज्यादा बोली जानेवाली तृतिय की भाषा

विश्व में करीब 29.5 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती और सब से ज्यादा बोली जानेवाली तीसरे नंबर की भाषा एक धर्म विशेष की भाषा भी कही जाती है और यह भाषा अरब के कई देशों की राजभाषा है। इस भाषा को सऊदी अरब, सीरिया, यमन, मिस्र, जॉर्डन, इराक, अल्जीरिया, लीबिया, सूडान, कतर, ट्यूनिशिया, मोरक्को और माली आदि में बोला जाता है। इसी भाषा में पवित्र कुरान-ए-शरीफ लिखी गई है । यह भाषा इस्लाम धर्म की धर्मभाषा कही जाती है और वो है अरबी भाषा 

विश्व में सब से ज्यादा बोली जानेवाली चौथे नंबर की भाषा

 अब आता है नंबर हमारी अपनी भाषा का अर्थात हिंदी भाषा का, यह विश्व की प्रमुख भाषा है तथा भारत की राजभाषा भी। हिंदी भाषा पुरे विश्वभर में करीब 26 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। न्यूजीलैंड में हिंदी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है, हिंदी भाषा नेपाल, मॉरिशस, फिजी, गयाना, सूरीनाम में बोली जाती है। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषा अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर में भी बोली जाती है। हिंदी भाषा भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है।

विश्व में सब से ज्यादा बोली जानेवाली पांचवे नंबर की भाषा 

विश्व में सब से ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में भारत की दो भाषाएं शामिल है, चौथे नंबर पर है हिंदी और पांचवे स्थान पर है बंगाली भाषा, बंगाली भाषा विश्व में करीब 24.2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। भारत में बंगाली भाषा पश्चिमी बंगाल और उत्तर पूर्वी भारत के असम, त्रिपुरा में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। बंगाली भाषा भारत के अतिरिकत बांग्लादेश और विश्व के अन्य देशों में भी बोली जाती है।



 

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा और चुनाव आयोग के नियम ?



भारत के संविधान के अनुसार भारत में संघीय व्यवस्था है, भारत लोकतांत्रिक देश है जिस में नयी दिल्ली में केन्द्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के लिए राज्य सरकार है। इसीलिए, भारत में राष्ट्रीय व राज्य (क्षेत्रीय), राजनीतिक दलों का वर्गीकरण उनके क्षेत्र में उनके प्रभाव के अनुसार किया जाता है। भारत में बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट दर्जे का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिह्न। इलेक्शन कमीशन द्वारा पार्टियों को राष्ट्रीय पार्टी का मान्यता देने का प्रावधान संविधान में 1968 में जोड़ा गया। इसे 'दी इलेक्शन सिंबल(रिजर्वेशन एंड एलॉटमेंट) ऑर्डर, 1968' कहा जाता है।भारत में चुनावो में अनेको दल चुनाव लडते है, जिसमें कुछ दल प्रादेशिक दल कहे जाते है और कुछ दल राष्ट्रीय दल कहे जाते है  सभी दलो को राष्ट्रीय दल या पार्टी का दर्जा नही मिलता है अगर किसी दल या पार्टी को राष्ट्रीय दल/पार्टी का दर्जा पाना है तो उस दल या पार्टी को भारत के चुनाव आयोग द्वारा तय किये गये नियमो का पालन करना होता है और तय किये गये मानदंडो को प्राप्त करना होता है तब जाके कोइ भी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर सकती है  किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए कुछ प्रमुख शर्तों को पूरा करना होता है। अगर कोई भी पार्टी उन शर्तों को पूरा करती है तो इलेक्शन कमीशन (EC) उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देता है।

भारत में कितनी पार्टीयां है ?

भारत में पॉलिटिकल पार्टी को चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है। भारत में कोई भी चुनाव लड़ सकता है और अपनी पॉलिटिकल पार्टी बना सकता है। भारत में कुल 2,858 पार्टियां हैं। इनकी 3 कैटेगरी है…1. गैर मान्यता प्राप्त पार्टी, 2. क्षेत्रीय पार्टी और 3. राष्ट्रीय पार्टी  

गैर मान्यता प्राप्त पार्टीः ऐसी पार्टियां वो पार्टीयां होती है जो चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड तो होती हैं, लेकिन इन्हें मान्यता नहीं मिली होती। क्योंकि या तो ये बहुत नई होती हैं या इन्होंने इतने वोट प्राप्त नहीं किए होते कि क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके। भारत में ऐसी करीब 2,796 पार्टियां हैं।

क्षेत्रीय पार्टी: जिन्हें चुनाव आयोग से राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा मिला है। भारत में ऐसी 35 पार्टियां हैं।

राष्ट्रीय पार्टी : जिन्हें चुनाव आयोग ने नेशनल पार्टी का दर्जा दिया है। भारत में ऐसी 6 पार्टियां हैं।

भारत में वर्तमान में करीब 35 पार्टीयां ऐसी है जो राज्य स्तर/ प्रादेशिक स्तर की मान्यता प्राप्त है। इसके साथ साथ कुल 6 पार्टीयां है जिनको राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। जिन पार्टीओं को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है वो है वो है भारतीय जनता पार्टी (भाजपा, BJP), भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस (भाराको, Congress), बहुजन समाज पार्टी (बसपा, BSP), कोम्युनिस्ट पार्टी ओफ इंडिया (सीपीआइ (मार्क्सवादी), CPI (M), नेशनल पिपल्स पार्टी (एनपीपी, NPP), आम आदमी पार्टी (आप, AAP)। निर्वाचन आयोग ने सोमवार (10 अप्रैल) को आम आदमी पार्टी (आप) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया. साथ ही तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है. आप (AAP) को चार राज्यों- दिल्ली, गोवा, पंजाब और गुजरात में उसके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है. चुनाव आयोग ने कहा एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस को हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में उनके प्रदर्शन के आधार पर क्रमशः नगालैंड और मेघालय में राज्य स्तर के दलों के रूप में मान्यता दी जाएगी. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में रालोद, आंध्र प्रदेश में बीआरएस, मणिपुर में पीडीए, पुडुचेरी में पीएमके, पश्चिम बंगाल में आरएसपी और मिजोरम में एमपीसी को दिया गया राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा भी खत्म कर दिया गया है. 

राज्य स्तर या प्रादेशिक स्तर की पार्टी का दर्जा कैसे मिलता है

1. चुनाव आयोग के द्वारा मान्यता प्राप्त दल/पार्टी को प्रादेशिक (क्षेत्रीय दल) या स्टेट पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए आठ प्रतिशत वोटों की आवश्यकता होती है। संबंधित राज्य में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 8 प्रतिशत वोट पाने की आवश्यकता होती है।

2. यदि चुनाव आयोग के द्वारा मान्यता प्राप्त किसी दल/पार्टी को विधानसभा चुनाव में छह प्रतिशत वोट और दो सीटें मिलती है तो उसे प्रादेशिक पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाता है।

3. प्रादेशिक दल का दर्जा प्राप्त करने का एक और रास्ता भी है कि संबंधित राज्य में विधानसभा में कम से कम तीन सीटें मिल जाएं भले ही वोटों की हिस्सेदारी कुछ भी हो।

चुनाव आयोग के द्वारा  राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के लिये क्या कुछ नियम और मानदंड तय किये है ? 

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए कुछ नियम और मापदंड चुनाव आयोग ने तय किये है और अगर कोई भी पार्टी इन नियमों का पालन करती है और तय किये गये मापदंड को पूरा करती है तो निर्वाचन आयोग उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देता है। राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए कई प्रकार की शर्तें होती हैं। जिसमें से कम से कम एक शर्त को पूरा करना अनिवार्य होता है।  राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए क्या-क्या शर्तें होती हैं,,,,,,,, 

राष्ट्रीय पार्टी बनने की प्रमुख नियम........ 


राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिये जो नियम और मानदंड चुनाव आयोग ने तय किये है वो कुछ इस प्रकार है ....

  • अगर किसी दल को 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
  • अगर कोई दल 3 राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 3 फीसदी सीटें जीतती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
  • अगर कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 4 राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी माना जाता है।
  • अगर कोई भी पार्टी इन तीनों शर्तों में से किसी एक शर्त को पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।      
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने से क्या फायदे होते है किसी भी दल/पार्टी/पक्ष  को  ?
  • राष्ट्रीय पार्टियां अपना सिंबल या चुनाव चिन्ह देश भर में सुरक्षित कर सकती हैं।
  • राष्ट्रीय पार्टियां चुनाव प्रचार में अधिकतम 40 स्टार प्रचारक रख सकती हैं साथ ही इनके यात्रा खर्च को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं रखा जाता है।
  •  राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय पार्टियों को सब्सिडी दर पर पार्टी अध्यक्ष और पार्टी कार्यालय के लिए एक सरकारी बंगला किराए पर मिलता है।
  • आम चुनावों के दौरान राष्ट्रीय पार्टियों को आकाशवाणी पर प्रसारण के लिए ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट बैंड्स मिलते हैं। यानी राष्ट्रीय पार्टियों को सरकारी चैनलों पर दिखाए जाने का समय तय होता है।
  • राष्ट्रीय पार्टियों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की जरूरत होती है। अन्य पार्टियों को 2 प्रस्तावक चाहिए। अनरिकग्नाइज्ड पार्टियों और निर्दलीयों को 5 प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
  • राष्ट्रीय पार्टियों को मतदाता सूची के दो सेट मुफ्त में दिए जाते हैं। साथ ही इनके उम्मीदवारों को आम चुनावों के दौरान एक प्रति मुफ्त मिलती है


मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

1971 : जब राख हो गया था कराची बंदरगाह


 


वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में पड़ोसी मुल्क को मुंह की खानी पड़ी थी। पाक के दो टुकड़े कर बांग्लादेश बनाने में नौसेना ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन इस जंग में आज का दिन यानी 4 दिसंबर नौसेना के लिए काफी अहम है। देशभर में आज नौसेना दिवस मनाया जाता है, जिसके चलते आज नौसेना की ओर से कई वीडियो भी जारी किए गए। बता दें कि इसी दिन नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस स्ट्राइक को 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के रूप में भी जाना जाता है।

हिंदुओं के नरसंहार से शुरू हुई थी जंग की दास्तां

1971 में बांग्लादेश जो पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था, वहां हिंदुओं के खिलाफ एकाएक अत्याचार की घटनाए बढ़ने लगी थी। कई रिपोर्टों के अनुसार वहां लाखों लोग मारे गए थे और महिलाओं से दुष्कर्म आदि के मामलों में बड़ा इजाफा देखने को मिला था। इन्हीं सब को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया। इस बीच पाकिस्तान में बांग्लादेश की आजादी की आवाज तेज हो जाती है भारत के इसमें कूदते ही पाक खुद ही जंग छेड़ देता है और 3 दिसंबर 1971 को भारत में हवाई हमले करता है। जिसके जवाब में 4 दिसंबर की रात भारतीय नौसेना कराची बंदरगाह पर सर्जिकल स्ट्राइक कर उसे तबाह कर देती है। इस अभियान को ‘आपरेशन ट्राइडेंट’ के नाम से जाना जाता है।

1965 का लिया बदला


भारतीय नौसेना 1965 में हुए भारत पाक युद्ध में पाकिस्तान ने अपनी नौसेना और युद्धपोत का इस्तेमाल कर गुजरात में हमला किया था। हालांकि, इसमें भारत को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन पाक को मुंहतोड़ जवाब देने से उस समय नौसेना चूक गई क्योंकि उसे इसमें भाग ही नहीं लेने दिया गया। तब उसे रणनीति के तहत भारतीय सीमा के बाहर कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया गया था। इसी को देखते हुए 1971 की लड़ाई में नेवी चीफ एडमिरल एसएम नंदा ने पहले ही इंदिरा गांधी से छूट मांग ली थी, जिसके मिलते ही कराची बंदरगाह धुंआ-धुंआ हो गया।

इस जंग में पाक ने अपनी सबसे शक्तिशाली सबमरीन गाजी को दो मोर्चों को संभालने का जिमा सौंपा था। जिसमें विशाखापट्टनम पर हमला कर उस पर कब्‍जा करना और आईएनएस विक्रांत को नष्‍ट करना शामिल था। लेकिन भारतीय नौसेना को इसकी जानकारी जैसे ही मिली उनसे धावा बोल दिया और 7 दिनों तक कराची बंदरगाह जलता रहा।

4 दिसंबर की रात कराची बंदरगाह पर भारत की बमबारी

3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान वायुसेना भारत के कई सैनिक अड्‌डों पर हमले करती है, जिसके बाद भारत युद्ध का ऐलान करता है। 4 दिसंबर 1971 की रात को नौसेना की 3 मिसाइल बोट INS निपात, INS निर्घट और INS वीर कराची बंदरगाह पर हमला बोल देती है जिससे वो तबाह हो जाता है। हमले के बाद कई किमी तक बंदरगाह से निकलता धुंआ दिखाई देता है।

आपरेशन ट्रांइडेंट की याद में मनाया जाता है नौसेना दिवस

नौसेना द्वारा तकरीबन 5 दिनों तक चले इस अभियान को आपरेशन ट्रांइडेंट का नाम दिया गया था। इसमें पाकिस्तान को काफी नुकसान हुआ था और भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ था। 4 दिसंबर को नौसेना द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के कारण ही इस दिन नौसेना दिवस मनाया जाता है।

विश्व मातृभाषा दिन

 प्रति वर्ष 21 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ (International Mother Language Day 2023) मनाया जाता है। दुनियाभर की भाषाओं और संस्कृति का सम्मान हो और इसके प्रति लोगों में प्रेम एवं गौरव बना रहे इस द्रष्टि से समग्र विश्व में 21 फरवरी के दिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य विश्वभर में अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना है। 

सर्व प्रथम मातृभाषा दिवस कब और कहां मनाया गया ?

मातृभाषा पर जिनको ममत्व है और जिस भाषाने रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुवर दिये है ऐसे बांग्ला भाषा बोलने वाले और अपनी मातृभाषा पर गौरव का अनुभव करने वाले और विभाजन के पश्चात पाकिस्तान का हिस्सा बन जाने वाले पूर्व पाकिस्तान के ऐसे बांग्लाभाषी विद्यार्थियों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए  1952 में ढाका विश्वविद्यालय के एक विरोध प्रदर्शन किया था। यह विरोध प्रदर्शन बहुत जल्द एक नरसंहार में बदल गया जब तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसा दी। इस घटना में 16 लोगों की जान गई थी।


भाषा के इस बड़े आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में 1999 में यूनेस्को (United Nation) ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। कह सकते हैं कि बांग्ला भाषा बोलने वालों के मातृभाषा के लिए प्यार की वजह से ही आज विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

संवैधानिक संतुलन: भारत में संसद की भूमिका और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय

भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में, जाँच और संतुलन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न संस्थाओं की भूमिकाएँ सावधानीपूर्वक परिभाषित की गई है...