मंगलवार, 30 जुलाई 2024

संसद में क्यों नही ले सकते अडानी-अंबानी का नाम?

प्रतिकात्मक चित्र

सदन में बजट 2024 पर बहस चल रही है, इस बहस में राहुल गांधी ने अपने भाषण में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए चक्रव्यूह का उल्लेख करते हुए छ: लोगों के नाम लिए जिनमें अंबानी और अडानी के नाम भी शामिल थे. राहुल गांधी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए याद दिलाया कि आप उसका नाम नहीं ले सकते हैं जो फिलहाल सदन का सदस्य नहीं है.

अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर राहुल गांधी के सदन में अंबानी -अडानी या किसी और का नाम लेने पर आपत्ति क्यों ? संसद में  किसका नाम नहीं ले सकते ? क्या कहता है नियम ?

क्यों नहीं ले सकते उनके नाम जो सदन के सदस्य नहीं है ?

नियम 380: लोकसभा के प्रक्रिया और  कार्य संचालन के नियम 380 (निष्कासन) के अनुसार अगर अध्यक्ष का मानना है कि बहस के दौरान कुछ ऐसे शब्दों या नाम के इस्तेमाल हुआ जो अशोभनीय या अपमानजनक या असंसदीय हैं तो अध्यक्ष अपने विवेक के अनुसार उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने का आदेश दे सकता है. इस प्रक्रिया को एक्सपंक्शन कहते हैं.

इसके अलावा भारतीय संसद के सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में भाषण के दौरान किसी बाहर के व्यक्ति का नाम लेने पर पाबंदी होती है. यह पाबंदी संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत लगाई गई है.

नियम 352: "लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली" के नियम 352 में कहा गया है कि कोई भी सदस्य किसी व्यक्ति का नाम तब तक नहीं ले सकता है जब तक वह व्यक्ति संसद की कार्यवाही का हिस्सा नहीं हो. ठीक इसी तरह, राज्यसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली के तहत भी इस प्रकार के प्रावधान होते हैं. है. इसके अलावा उस सदस्य का नाम भी तब ही लिया जा सकता है जब उससे जुड़ी जानकारी प्रमाणित और सत्यापित हो.  

ऐसे में अगर किसी व्यक्ति का नाम बिना किसी प्रमाण या तथ्य के लिया जाता हैं तो यह संसद के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा. इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संसद की कार्यवाही मर्यादित और उद्देश्यपूर्ण रहे, और बाहर के व्यक्तियों का नाम लेकर बहस को अनावश्यक विवादों से दूर रखा जाएगा. 

नियम 353: संसद में अगर किसी सांसद को भाषण के दौरान किसी व्यक्ति पर आरोप लगाना है भी "लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली" के नियम 353 के तहत सभापति या अध्यक्ष को उस व्यक्ति के बारे में पहले से ही सूचना देनी होती है और अगर सभापति या अध्यक्ष इसकी अनुमति देते है तभी उन पर आरोप लगाया जा सकता है. 

संसद में भाषण देते समय सदस्य को किस नियमों को ध्यान में रखना चाहिए?

लोकसभा की रूल बुक में नियम 349 से लेकर नियम 356 तक इस बात का विस्तार में जिक्र है कि संसद में भाषण के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है, या किन बातों का जिक्र नहीं किया जाना चाहिये है.

नियम 349(1): इस नियम के अनुसार सदन में भाषण देते हुए किसी भी ऐसे किताब, अखबार या पत्र को पढ़ा या इसका जिक्र नहीं किया जा सकता , जिसका सदन की कार्यवाही से कोई लेना देना न हो. 

नियम 349(2): इस नियम के तहत किसी भी सदस्य के भाषण के वक्त शोर- शराबा या किसी भी तरीके से बाधा नहीं डाली जा सकती.

नियम 349(12): यह नियम कहता है कि कोई भी सदस्य स्पीकर की कुर्सी की तरफ पीठ करके न बैठ सकता है और न ही खड़ा हो सकता है. 

नियम 349(16): इसी रूल बुक का यह कहता है कि सदन में कोई भी सदस्य किसी भी झंडा, प्रतीक प्रदर्शित नहीं करेगा. राहुल गांधी की तरफ से हाल ही में भगवान शिव की तस्वीर दिखाने पर स्पीकर ओम बिरला ने इसी नियम का हवाला दिया था.

यह सारे नियम है जिसको ध्यान में रखकर सदन के दोनों सदस्यो को अपना भाषण देना होता है.  यह वो नियम है जिसके तहत कोइ भी सदस्य ऐसे व्यक्तो या व्यक्तोयों के नाम नही ले सक्ते जो सदन के सदस्य नही है. 

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