गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

भारतीय सीमाओं की सुरक्षा - S-400 की अनिवार्यता

एक तरफ पड़ोसी पाकिस्तान जैसा देश हो जिसका जन्म ही भारत के प्रति द्वेष से हुआ हों और समुचे विश्व में आतंकवाद की फैक्ट्री के नाम से बदनाम हो एवं दुसरी तरफ चीन जैसा बलवान और जिस पर विश्वास कोई भी करता न हो राष्ट्र हो तब भारत की ज़मीनी सीमाओं के साथ साथ हवाई सीमाओं की रक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हो जाता है।
पाकिस्तान से बढ़ते मिसाइल खतरे को भांपकर भारत ने 90 के दशक में अपने बल पर भारतीय बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम (Indian Bellistic Missile Defence Programme) की शुरुआत की थी । जीसे बैलेस्टिक मिसाइल के हमलों से बचने के लिए बनाई गई बहुस्तरीय बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली भी कहा जाता है । इस योजना के तहत दो मिसाइलों का संशोधन, विकास एवं निर्माण किया गया। यह दोनों की क्षमता 5000 किलोमीटर दूर से आ रही दुश्मन मिसाइल की पहचान कर उसे मार गिराने की है। काफी ऊंचाई से आ रही मिसाइल को नष्ट करने हेतु पृथ्वी एयर डिफेंस कम ऊंचाई से हमला करने वाली मिसाइल को नष्ट करने हेतु एडवांस एयर डिफेंस का विकास एवं निर्माण किया गया।
पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल का परीक्षण 2006 में कीया गया था, इस परिक्षण के साथ ही अमेरिका, रशिया और इसरायल के बाद एंटी बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने वाला चौथा राष्ट्र भारत बन गया। एडवांस एयर डिफेंस का परीक्षण दिसंबर 2007 में किया गया, ईस दोनों प्रणाली के परीक्षण अभी भी चल रहे हैं और आधिकारिक तौर पर अभी इनको सेना में शामिल नहीं किया गया है।
हवाई सीमाओं तथा देश को दुश्मन देश की मिसाइल से सुरक्षित करने हेतु स्वदेशी प्रणाली शामिल हों, वर्तमान विश्व के प्रवाह, पाकिस्तान और चीन की ओर से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने रशिया द्वारा विकसित एवं निर्मित विश्व की सबसे श्रेष्ठ हवाई सीमा सुरक्षा प्रणाली S-400 Triumf खरीदने का फैसला लिया है।
आज से रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिन की भारत यात्रा पर है और कहा जा रहा है कि उनकी भारत यात्रा का सब से महत्वपूर्ण उद्देश्य इस रक्षा सौदे को अंतिम स्वरुप देना होगा। वैसे भारत के द्वारा S400 खरीदने पर अमेरिका अपना विरोध जताया है। अमेरिका का का विरोध इस कारण लग रहा है कि संरक्षण के बाजार में रुस उसको तगड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत रुस की S-400 रक्षा प्रणाली के बदले अमेरिका की “थाड” ‘ Terminal High Altitude Defence System’ को प्राधान्य दें जबकि भारत की प्रथम वरियता रुस की प्रणाली को है।
भारत S-400 के लिए 2015 से बातचीत कर रहा है, माना जाता है कि भारत ने 2016 में इस प्रणाली को खरीदने पर अपनी सहमती दे दी है। दोनों देशों के बीच यह समजौता 2016 में हुआ है, तय सौदे के मुताबिक भारत S-400 रक्षा प्रणाली की चार सिस्टम्स खरीदेगा, जिसका मुल्य करीब 40 हजार करोड़ रुपए है।
क्या है S-400 Triumf रक्षा प्रणाली और उसकी विशेषताएं क्या है ?
S-400 रक्षा प्रणाली रुस की ही S-300 का एडवांस स्वरुप है। चीन इसे खरीदने के लिए रशिया से करार कर चुका है और तुर्की खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। S-400 रक्षा प्रणाली रशिया में 2007 से सेवारत हैं परंतु विश्व ने उसकी विश्वसनीयता एवं उच्चतम गुणवत्ता का प्रमाण सिरिया में देखा है।
यह रक्षा प्रणाली तैनात करने से भारत को तिब्बत में होनेवाली चीन की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा। यह मिसाइल सिस्टम देश को बाहरी मिसाइल हमलों से रक्षा कवच देगी। इस रक्षा प्रणाली के राडार से 600 किलोमीटर तक की दूरी में 100 से 300 निशानों की गतिविधियों को ट्रेक किया जा सकता है और 400 किलोमीटर तक एक साथ 36 निशानों को टारगेट किया जा सकता है । S-400 रक्षा प्रणाली 400 किलोमीटर की दूरी तक क्रुज मिसाइल, बैलेस्टिक मिसाइल, विमान और बीना चालक के ड्रोन को हवा में ही ट्रेक कर नष्ट कर सकता है और साथ साथ जमीनी लक्ष्यांको भी निशाना बनाया जा सकता है। यह सिस्टम देश पर होने वाले मिसाइल हमलें की जानकारी देने के साथ साथ एक साथ तीन एंटी मिसाइल दागकर दुश्मन मिसाइल को नष्ट कर सकता है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Sachi bat kahi devendrabhai

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