शनिवार, 29 अक्टूबर 2022

भारत का अपना GPS है NaVIC



भारत का अपना GPS NaVIC

 

दिन ब दिन इंटरनेट पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है या कहे हम अब डिजिटल होते जा रहे है, हम 2G, 3G से 4G के विश्व को छोड़कर 5G के विश्वमें प्रवेश कर चुके है। आज सामान्य बातचीत में भी “अपना लाइव लोकेशन भेज दीजिये” जैसे शब्द आमतौर पर हम सुनते है, और हम भी जब कोई अनदेखे स्थान पर जा रहे होते है तो तुरंत गूगल मेप का सहारा लेने लगते है,इन सभी कार्यो के लिए एक सक्षम नेविगेशन प्रणाली की आवश्यकता होती है। वर्तमान में हम अमेरिका की GPS अर्थात ग्लोबल पोझिशनिंग सिस्टम पर आधारित है। नौवहन प्रणाली जो की अब हमारे डिजिटल जीवन का एक अभिन्न अंग बन गई है।

 

क्या है GPS, इसे कब और किसने शुरू किया ?

GPS Global Positioning System को शॉर्ट में कहा जाता है। आज विश्व में सभी इस नाम को जानते है हो सकता है की वो ग्लोबल पोझिशनिंग सिस्टम शब्द को न जानते हो परंतु GPS शब्द को न केवल जानते है बल्कि उसका यथा उचित उपयोग भी कर लेते है। GPS की शुरुआत अमेरिका की नौसेना ने 1960 के दशक मे परमाणु मिसाइलों को लेकर जा रही अमेरिकी पनडुब्बीओं को ट्रेक करने के लिए की थी। 1970 के दशक में अमेरिका के रक्षा विभाग DoD (Department of Defence) को भी एक मजबूत और सटीक स्थिर उपग्रह नेविगेशन सिस्टम की आवश्यकता महेसूस होने लगी। अमेरिकी नौसेना के द्वारा विकसित की गई टेक्निक को ही अमेरिकी रक्षा विभागने अपनाया और अपनी प्रस्तावित नेविगेशन सिस्टम को ओर बहेतर और सटीक बनाने के लिए उपग्रहो का सहारा लेने का फैसला किया। करीब आठ वर्षो की लगातार महेनत के बाद 1978 के वर्ष में अमेरिकी रक्षा विभागने प्रथम नेविगेशन सिस्टम की शुरुआत की। अपने प्रथम नेविगेशन सिस्टम को अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) ने टाइमिंग नेड़ रेंजिंग (NAVSTAR) उपग्रह के साथ लॉन्च की, यह प्रणाली 24 उपग्रहो के साथ वर्ष 1993 मे सम्पूर्ण रूप से कार्यरत हो गई। आज यह स्थिति है की अमेरिकी GPS सिस्टम 32 उपग्रहो के साथ पृथ्वी के हर कोने को अपनी नजरों के तले रखती है। GPS आज के समय मे दो प्रकार की सेवाए प्रदान करता है, 1. आम लोगो को दी जानेवाली सेवाए और अमेरिकी सेना और सरकारी एजंसीओं के लिए दी जानेवाली प्रतिबद्ध सेवाएं। वैसे देखें तो GPS एक अंतरिक्ष आधारित रेडियो नेविगेशन प्रणाली है, जो सम्पूर्णतया अमेरिकी सरकार के आधिपत्य में है, जिसका संचालन सामाजिक, वाणिज्यिक, वैज्ञानिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अमेरिकी वायु सेना द्वारा क्या जाता है।

 

भारत को अपनी GPS बनाने की जरूरत क्यों पड़ी ?

आज के समय मे करी पूरा विश्व अमेरिकी GPS सिस्टम का उपभोगकर्ता है जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि भारत अब अपनी GPS सिस्टम बना चुका है जिसका नाम NaVIC है। यहाँ यह प्रश्न होता है की भारत को अपनी GPS सिस्टम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी ? वर्ष 1999 में पाकिस्तान ने अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिया घुसपैठ की और भारत पाकिस्तान के बीच एक सीमित प्रकार का युद्ध हुआ जिसमे भारतने फिर एकबार पाकिस्तान को धूल चटा दी। इस कारगिल युद्ध के दौरान भारत को दुश्मनों की पोजीशन की सटीक जानकारी मिले इसके लिए भारतने अमरीका को उसकी GPS सिस्टम के द्वारा सहायता करने का अनुरोध किया था जिसको अमेरिकाने नकार दिया, उल्लेखनीय है की कार्गिल युद्ध में दुश्मन ऊंचाई पर थे जिससे भारतीय सेना उनको ठीक तरह से निशाना नहीं बना पा रही थी जब की उनके लिए भारतीय सेना पर निशाना लगाना काफी आसान था। इस अनुभव से सीख लेते हुए भारतने नेविगेशन सिस्टम पर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के विषय मे सोचा और जन्म हुआ स्वदेशी नेविगेशन कार्यक्रम के उपग्रह नौवहन प्रणाली यानि NaVIC का।          

 

भारत की स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम NaVIC

NavIC यानी नेविशगेशन विद इंडियन कॉन्सटिलेशन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तरफ से डेवलप एक स्वतंत्र स्टैंड-अलोन नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है। प्रारंभ में भारतीय क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली (IRNSS : Indian Regional Navigation Satellite System) कार्यक्रम का नाम NaVIC (Navigation with Indian Constellation) रखा गया। वर्ष 2006 में 17.4 करोड़ डॉलर की लागत वाले प्रोजेक्ट नाविक की शुरुआत हुई थी। इस प्रोजेक्ट के तहत अवकाश मे 7 उपग्रह प्रक्षेपित किए जानेवाले थे। इसके 2011 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, परंतु इस शृंखला का प्रथम उपग्रह IRNSS-1A का प्रक्षेपण जुलाई 2013 में हुआ, 2014 के बाद इस कार्यक्रम में तेजी आई और इस हश्रुंखला का अंतिम उपग्रह IRNSS-1I को 2018 में प्रक्षेपित कर इस प्रणाली को पूरा किया गया। नाविक में आठ उपग्रह शामिल हैं। यह भारत और पड़ोश के देशो सहित 1,500 किमी तक के पूरे भूभाग को कवर करता है। यह प्रणाली अपने दायरे में आनेवाले सभी क्षेत्रों की सटीक स्थिति एवं संबन्धित सूचनाएंउपलब्ध करने में सक्षम हो इस तरह से इसे डिजाइन किया गया है। वर्तमान में, NavIC का उपयोग सीमित है। इसका उपयोग सार्वजनिक वाहन ट्रैकिंग में किया जा रहा है, गहरे समुद्र में जाने वाले मछुआरों को आपातकालीन चेतावनी अलर्ट प्रदान करने के लिए। ये उन जगहों पर प्रयोग में लाया जा रहा है जहां कोई टेरेरेस्टियल नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है। साथ ही प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जानकारी को ट्रैक करने और प्रदान करने के लिए है। स्मार्टफोन में इसे सपोर्ट उपलब्ध करना अगला कदम है। कारगिल में GPS के लिए भारत आत्मनिर्भर नहीं होने के कारण जो नुकशान हमें भुगतना पड़ा ऐसा अब हमारी स्वदेशी प्रणाली होने के करना नहीं होगा क्यूंकी भारत के पास अपनी स्वयं की नेविगेशन प्रणाली है और उसका नियंत्रण एवं संचालन भारत के ही पास है। NaVIC के संचालन एवं रख रखाव के लिए पूरे भारत में करीब 18 संचालन केन्द्रों का निर्माण किया गया है।

 

NaVIC अन्य नेविगेशन सिस्टम से अलग कैसे हैं?
नाविक और अन्य नेविगेशन सिस्टम में मुख्य अंतर इन की तरफ से आवृत्त प्रदेश है। GPS दुनिया भर में उपभोगकर्ताओं की आवश्यकता को पूरा करता है। GPS के सैटेलाइट प्रतिदिन दो बार पृथ्वी का परिभ्रमण करते हैं। वहीं, नाविक वर्तमान में भारत और आस-पास के क्षेत्रों में उपयोग के लिए है। GPS की तरह, तीन अन्य नेविगेशन सिस्टम हैं जो सम्पूर्ण वैश्विक एरिया को कवर करते है, इनमें यूरोपीय संघ का गैलीलियो, रूस का ग्लोनास और चीन की बाइडो शामिल हैं। जापान द्वारा संचालित QZSS, जापान पर फोकस करने के साथ एशिया-ओशिनिया क्षेत्र को कवर करने वाला एक अन्य रिजनल नेविगेशन सिस्टम है। भारत की 2021 उपग्रह नेविगेशन मसौदा नीति में कहा गया है कि सरकार NavIC सिग्नल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ' रीजनल से ग्लोबल तक कवरेज का विस्तार' करने की दिशा में काम करेगी। इस तरह NaVIC दुनिया के किसी भी हिस्से में अपनी सेवाएं देगा। सरकार ने अगस्त में कहा, स्थिति सटीकता के मामले में नाविक संयुक्त राज्य अमेरिका के GPS जितना अच्छा है।

 


गुरुवार, 27 अक्टूबर 2022

शी जिनपिंगने बनाई वफ़ादारों की नई टीम



                    चीन की सब से शक्तिशाली

       पॉलिट ब्युरो स्टेंडिंग कमिटी के सदस्य कौन है ? 

    

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस (एनपीसी) का समापन हाल ही में समापन हुआ जिसमें चीनी कोम्युनिस्ट पार्टीने अपने नये नेतृत्व को चुना। 2,270 NPC के प्रतिनिधियों को चीन के प्रांतों, स्वायत्त क्षेत्रों, सैन्य और नगर पालिकाओं में स्थित 80 मिलियन कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों में से चुना गया है, NPC के सदस्यों ने 205 केन्द्रिय कमिटी के सदस्यों को चुना, केन्द्रिय कमिटी के सदस्यों ने पॉलिट ब्युरो के 25 सदस्यों को चुना और पॉलिट ब्युरो के सदस्यों ने 7 सदस्यों वाली पॉलिट ब्युरो स्टेंडिंग कमिटी जो चाइनीज कोम्युनिस्ट पार्टी को चलाएगी का चयन किया । अब  इस कांग्रेस के कार्य को समाजने पर पता चलता है की इसके पास वास्तविक निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, और यह ऊपर दर्शाए गए समूहो द्वारा किए गए निर्णयों को लागू करने की लिए रबर स्टैंप के रूप में कार्य करता है।

     चीन के प्रमुख शी जिनपिंग ने चीन में एक नई मिसाल कायम करने वाला तीसरा नेतृत्व कार्यकाल हासिल किया और माओत्से तुंग के बाद देश के सबसे शक्तिशाली शासक के रूप में उभरे, साथ ही उन्होने अपने वफादारों की एक शीर्ष शासकीय निकाय की भी घोषणा की। इस निकाय में शीने अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों और संभावित प्रतिद्वंद्वियों  को पोलिट ब्यूरो की स्थायी समिति से बाहर का रास्ता दिखा दिया और अपने वफादारों को उनकी जगह पर नियुक्त कर दिया। नया पोलिट ब्यूरो पार्टी पर शी के प्रभुत्व को सीधे रूप से दिखाती है। इस निकाय में सब ध्यान आकर्षित करनेवाले व्यक्ति थे शंघाई कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख ली कियांग जिन्होंने  ग्रेट हॉल ऑफ पीपल के मंच पर शी का अनुसरण किया।  नई पोलित ब्यूरो स्टेंडिंग कमिटी की घोषणा की गई थी, उसमे ली कियांग को मार्च में सेवानिवृत्त किए गए ली केकियांग स्थान पर लिया गया है। सात सदस्यीय स्थायी समिति के अन्य सदस्य झाओ लेजी और वांग हुनिंग, और नवागंतुक कै क्यूई, डिंग ज़ुएक्सियांग और ली शी हैं। ली कियांग भी स्थायी समिति में नए हैं। 

आइये अगले पांच वर्षों के लिए चीन की  कम्युनिस्ट पार्टी की सर्वशक्तिमान पोलिट ब्यूरो स्टेंडिंग कमिटी के सातों सदस्यों पर एक नज़र डालते है।



1. शी जिनपिंग: पॉलिट ब्युरो स्टेंडिंग कमिटी के सभी निर्णय शी जिनपिंग ही लेंगे, जिन्होंने अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए कोम्युनिस्ट पार्टी द्वारा तय की गई दो कार्यकाल की सीमा को समाप्त कर दिया और तीसरे कार्यकाल पर आरूढ़ हुए। इससे पहले भी, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर आर्थिक नीति तक हर चीज की देखरेख करने वाले और मंत्रालयों पर नजर रखनेवाले कार्य समूहों का नेतृत्व अपने हाथ में लेकर सभी प्रतिद्वंद्वियों को दरकिनार करके अंतिम निर्णय का अधिकार अपने हाथ मे ले लिया था।



2. ली कियांग: दूसरे नंबर पर है 63 वर्षीय ली कियांग। ली कियांग 2017 से शंघाई के पार्टी सचिव हैं और उन्हें संभवतः भविष्य के प्रमुख के रूप में प्रमोट करने के विचार से पोलिट ब्यूरो स्टेंडिंग कमिटी में शामिल किया गया है। चीन की कोम्युनिस्ट पार्टी में शंघाई के सचिव की पोस्ट सबसे महत्वपूर्ण पोस्ट मानी जाती है गौरतलब है की इससे पहले शी जिनपिंग, पूर्व राष्ट्रपति जियांग जेमिन और पूर्व प्रीमियर झू रोंगजी शंघाई के सचिव के पद को संभाल चुके है।



3. झाओ लेजी: 2017 से, 65 वर्षीय झाओ लेजी चीनी कोम्युनिस्ट पार्टी की पार्टी की बहुचर्चित संस्था जो कथित रूप से भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने का कार्य करती है, जिसे कभी-कभी शी के विरोधियों को खत्म करने और शी के प्रति वफादारी पैदा करने के साधन के रूप में जाना जाता है हालांकि सब ऐसा मानते है की यह संस्था शी जिनपिंग के विरोधियो को ठिकाने लगाती है, उस संस्था के अनुशासन निरीक्षण के केंद्रीय आयोग के सर्वेसर्वा थे। झाओ अपने इस कार्य से अब नेशनल पीपुल्स कांग्रेस, जो कि बड़े पैमाने पर औपचारिक विधायिका है, उसका नेतृत्व करेंगे ऐसा माना जाता है। झाओ, शी की तरह, दूसरी पीढ़ी के पार्टी सदस्य हैं और अपुष्ट हवालों का कहना है कि शी और झाओ के पिता दोस्त थे।



4. वांग हुनिंग: 62 वर्षीय वांग हुनिंग लंबे समय से पार्टी के राजनीतिक सिद्धांतकार है।  वांग हुनिंग 2017 से पोलिट ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य हैं और शी के सबसे महत्वपूर्ण सलाहकारों में से एक के रूप में उनकी पहचान है। पहेले की स्थायी समिति में पांचवें स्थान पर थे जो अब चौथे स्थान आगे बढे हैं। चाइनीज पॉलिट ब्यूरो में चौथा स्थान आमतौर पर चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस के प्रमुख के पास जाता है। चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस जो की एनपीसी का सलाहकार समूह है जो चीन में गैर-कम्युनिस्ट समूहों, धार्मिक संगठनों और अल्पसंख्यक समूहों पर कड़ी नजर रखता है। वांग बड़े पैमाने पर नेताओं की विचारधारा पर नजर रखते है और इस रूप में पार्टी विचारधारा के प्रभारी भी रहे हैं।



5. काई क्यूई: 66 वर्षीय काई क्यूई पॉलिट ब्यूरो स्टेंडिंग कमिटी में नवागंतुक हैं। काई का शी के साथ लंबे समय संबंध हैं और वे शी के वफादार है। शी के साथ, काई ने फ़ुज़ियान और झेजियांग के तटीय प्रांतों में काम किया था, पार्टी सचिव के शीर्ष स्थान पर पदोन्नत होने से पहले 2016 में पहले बीजिंग के मेयर के रूप नियुक्त थे। उन्होंने 2022 के बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक को समय पर और अपेक्षाकृत कम व्यवधान के साथ संपन्न किया और शंघाई में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल के बिना शी जिनपिंग की "शून्य-कोविड" की रणनीति को अंजाम दिया।



6. डिंग शुशियांग: 60 वर्षीय डिंग शुशियांग 2017 से सामान्य कार्यालय के प्रमुख के पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण नौकरशाही पदों में से एक रूप में पद नियुक्त थे। सूचना पर डिंग शुशियांग व्यापक नियंत्रण है ऐसा माना जाता है और अधिकारियों तक उनकी पहुंच है या कहें की सरकारी अधिकारिओ में उनकी गज़ब की पैठ है। डिंग अक्सर महासचिव के साथ संवेदनशील बैठकों में भाग लेने वाले कुछ अधिकारियों में शामिल होते रहे हैं। इसने उन्हें "शी के ओल्टर ईगो" और "शी के चीफ ऑफ स्टाफ" के नाम से जाना जाता है।



7. ली शी : 66 वर्षीय ली शी ग्वांगडोंग के एकीकरण  में उनकी सफलता से प्रकाश में आए थे, उपरांत ग्वांगडोंग के  शेन्ज़ेन जो के प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में पहचान बना चुका है और अंतरराष्ट्रीय वित्त केंद्र हांगकांग में उन्होने व्यापक सफलता पाई है। केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग के प्रमुख के रूप में ली शी को झाओ लेजी की जगह लेने के लिए भी नामित किया गया है। 


बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

भारत का सब से शक्तिशाली रॉकेट : LVM-3

       भारत का सब से शक्तिशाली रॉकेट : LVM-3



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को LVM3 M2/OneWebIndia-1 मिशन के सफल प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया। LVM3 रॉकेट ने लगभग 6 टन पे लोड को लोअर-अर्थ ओर्बिट में स्थापित किया, जो अब तक किसी भी इसरो मिशनने अंतरिक्ष में पहुंचाया हुआ सब से अधिक है। LMV-3 M2 की सफल उड़ानने गगनयान जैसे उत्सुकता से प्रतीक्षित मिशनों के लिए इसरो के सबसे उन्नत प्रक्षेपण यान LVM3 रॉकेट की व्यवहार्यता को न केवल फिर से सत्यापित किया, बल्कि भारी उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में इसरो के एक गंभीर खिलाड़ी रूप के दावे की भी पुष्टि की है। 

वर्तमान में बहुत कम देशों के पास 2 टन से अधिक वजन वाले उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की क्षमता है, इसरो भी कुछ समय पहले तक अपने भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए यूरोप के एरियन रॉकेटों की सेवाएं लेता था लेकिन अब इसरो भी  उन देशो की श्रेणी में इसरो भी शामिल हो गया है। LVM3 रॉकेट, जिसे पहले GSLV Mk-III कहा जाता था, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के अधिक महत्वाकांक्षी भागों - मानव मिशन, चंद्र पर लैंडिंग और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए अन्य देशों की निर्भरता को निकट भविष्य में समाप्त करने का वाहन भी बन सकता है।


भारत में वर्तमान में तीन परिचालन प्रक्षेपण वाहन हैं- पोलार सेटेलाइट लॉन्च वेहिकल या PSLV, जिसके एक से ज्यादा  संस्करण हैं; जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल या GSLV Mk-II; और लॉन्च व्हीकल मार्क-3 या LVM3.

   1993 से अब तक PSLV के उपयोग से 53 सफल मिशनों को अंजाम दिया गया है, PSIV की अब  केवल दो उड़ानें विफल रही हैं। GSLV-Mk II रॉकेट का इस्तेमाल 14 मिशनों में किया गया है, जिनमें से पिछले साल अगस्त में हुआ उसको गिनकर कुल मिलाकर चार उड़ान विफल हो गए हैं । LVM3 ने चंद्रयान 2 मिशन सहित पांच बार उड़ान भरी है, और सभी उड़ानें सफल रही है। इसके अलावा, इसरो एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLC) पर भी काम कर रहा है जो अन्य रॉकेटों के विपरीत अंतरिक्ष में कचरे के रूप में समाप्त नहीं होगा इसे वापस लाया जा सकता है और एक से ज्यादा बार उसका उपयोग भी किया जा सकता है।

इसरो LVM3 जैसे रॉकेट को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए पिछले तीन दशकों से अधिक समय से प्रयास कर रहा था। ऐसा प्रक्षेपण यान जो भारी वेतन भार ले जा सके, अंतरिक्ष में अधिक गहराई तक उद्यम कर सके ऐसी आवश्यकताओं के परिणामस्वरूप न केवल रॉकेट के आकार में भारी वृद्धि होती है, बल्कि इंजनों और उपयोग किए जा रहे ईंधन के प्रकार में भी बदलाव की आवश्यकता होती है। LVM3 ऐसी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इसरोने पिछले तीन दशकों से जो उच्चतम प्रयास किए उसकी परिणति है।

    जमीन पर या पानी पर चलने वाले वाहनों की तुलना में, रॉकेट परिवहन, परिवहन का एक अत्यंत जटिल माध्यम हैं। अंतरिक्ष यात्रा की अनूठी प्रकृति है की उसे गुरुत्वाकर्षण के जबरदस्त बल पर काबू पाना होता है इस कारण से किसी भी अंतरिक्ष मिशन के प्रक्षेपण-समय भार का 80 से 90 प्रतिशत के बीच ईंधन, या प्रणोदक होता है जब की यात्री या पेलोड में रॉकेट के वजन का मुश्किल से 2 से 4 प्रतिशत हिस्सा होता है।

      उदाहरण के लिए, LMV3 रॉकेट का उत्थापन द्रव्यमान 640 टन है, और यह पृथ्वी की निचली कक्षा (Lower Earth Orbitस :LEO) तक ले जा सकता है – जो लगभग 200 किमी है। जो पृथ्वी की सतह से - मात्र 8 टन है। पृथ्वी से लगभग 35,000 किमी की दूरी पर आगे स्थित भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा ( Geostationary Transfer Orbit : GTO)तक  बहुत कम वजन ले जा सकता है, लगभग केवल 4 टन। हालांकि, अन्य देशों या अंतरिक्ष कंपनियां के द्वारा इसी कार्य के लिए उपयोग किए जा रहे रॉकेट की तुलना में एलएमवी जरा भी कमजोर नहीं है।

     इसरो द्वारा अपने भारी पेलोड के लिए अक्सर यूरोपियन स्पेस एजंसी के एरियन 5 रॉकेट का उपयोग किया जाता है, जिसका उत्थापन द्रव्यमान 780 टन है, और यह 20 टन पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में और 10 टन को जीटीओ तक ले जा सकता है।

     स्पेसएक्स का फाल्कन हेवी रॉकेट सबसे शक्तिशाली मॉडम लॉन्च वाहन माना जाता है, जो लॉन्च के समय 1,400 टन से अधिक वजन का होता है, और 60 टन वजन वाले पेलोड ले जा सकता है।

अंतरिक्ष में जिस गंतव्य की ओर प्रेक्षेपण को प्रक्षेपित करना होता है, उस तरह के ईंधन-ठोस, तरल, क्रायोजेनिक, मिश्रण- और पे लोड के आकार का उपयोग किया जा रहा है। इनमें से किन्हीं दो चरों का चुनाव तीसरे के लचीलेपन पर गंभीर बढ़ाएँ उत्पन्न करता है, यह एक ऐसी स्थिति होती है जो अंतरिक्ष विश्व को जाननेवाले समुदाय में "रॉकेट समीकरण के अतिबलप्रयोग" के रूप में जाना जाता है।

पृथ्वी की निचली कक्षा में गुरुत्वाकर्षण बल सबसे मजबूत होता है जिससे वहाँ जाने में रॉकेट की अधिकांश ऊर्जा जल जाती है।

अंतरिक्ष में आगे की दूरी बहुत अधिक सरल है, और इसके लिए बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। वास्तव में, एक रॉकेट को LEO (लगभग 4 लाख किमी का अजूमे) से चंद्रमा की यात्रा करने में में जितनी ऊर्जा लगती है उससे आधी अधिक ऊर्जा पृथ्वी से LEO (लगभग 200 किमी) की यात्रा करने लगती है। यही कारण है कि यह अक्सर कहा जाता है कि मानव जाति के लिए विशाल छलांग चंद्रमा पर कदम रखनानहीं थी, बल्कि LEO तक पहुंचने में थी।

यदि कोई अंतरिक्ष मिशन चंद्र, मंगल या किसी अन्य खगोलीय पिंड की ओर जाता है, तो उस गंतव्य का गुरुत्वाकर्षण का समीकरण एक आवशयक बिन्दु हो जाता है । एक उपग्रह को गंतव्य तक पहुंचने के लिए अंतरिक्ष की कक्षा को प्राप्त करने की तुलना में ऐसे अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।

उपयोग में लिए जा रहे ईंधन की दक्षता रॉकेट की उड़ान में एक अन्य बाधा है। रॉकेट ईंधन के रूप में कई रसायनों का उपयोग किया जाता है, वे सभी अलग-अलग शक्ति से धक्का देते हैं। अधिकांश आधुनिक रॉकेट की उड़ान के विभिन्न चरणों को शक्ति प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार के ईंधन का उपयोग किया जाता हैं। उदाहरण के लिए, LMV3 में शुरुआती स्टेज में ठोस ईंधन होता है जो बूस्टर की तरह लिफ्टऑफ के दौरान अतिरिक्त धक्का प्रदान करता है, फिर तरल ईंधन होता है और अंतिम चरण मे क्रायोजेनिक ईंधन होता है ।

मानव जहां चंद्र पर एक स्थायी स्टेशन स्थापित करने और अंतरिक्ष में अधिक से अधिक सामान ले जाने के सपने देख रहा है वहाँ रॉकेट की क्षमता गंभीर रूप से सीमित है। रॉकेट इंजीनियरिंग में दो प्रकार के नवाचार हैं जिन्हें भविष्य के मिशनों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियोजित किया जा सकता है, जैसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और अन्य सुविधाओं का निर्माण किया गया है ऐसे ही रॉकेट अंतरिक्ष में एसेम्बल किया जा सके ऐसे बड़े ढांचे के पार्ट्स को लेकर अंतरिक्ष में एक से ज्यादा यात्राएं कर सकता है। दूसरा चंद्र और मंगल पर उपलब्ध संसाधनों के उपयोग की संभावना है, वास्तव में, सभी चंद्र मिशन में भविष्य इस संभावना को तलाशने के लिए तैयार हैं। 


रविवार, 23 अक्टूबर 2022

चीन : CCP की बेठक में शी जीनपिंग के चक्रव्युह के चतुष्कोण

 सप्ताह भर चलने वाली 20वीं चाइनीझ कोम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की कांग्रेस 22 अक्टूबर को बीजिंग में संपन्न हुई। यह कॉंग्रेस वैसे कई मायनों में एक महत्वपूर्ण घटना थी परंतु एक महत्वपूर्ण एवं जिसका प्रभाव समग्र विश्वमें होनेवाला है ऐसी घटना थी जब शी जिनपिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव के रूप में चीन के सबसे शक्तिशाली पद पर अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया । 1976 में माओ की मृत्यु के बाद से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर उनका बने रहना अभूतपूर्व होगा। आज माओ के बाद इतने 'सम्मानित' होनेवाले  नेता (आदरणीय लिंगशुई) दूसरे नेता होंगे। शी जिनपिंगका महासचिव बनना आम सहमति से निर्णय लेने की सीसीपी की प्रथा को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देगा।

    ग्रेट हॉल ऑफ पिपल में उपस्थित 2,340 प्रतिनिधियों और 83 विशेष रूप से आमंत्रित सेवानिवृत्त वयोवृद्ध कैडरों के सामने अपना कार्य रिपोर्ट कुल मिलाकर 72 पृष्ठो में 33,273 चाइनिझ शब्दों में  प्रस्तुत करते हुए और प्रतिकूल अंतरराष्ट्रीय वातावरण से अवगत होते हुए शी, लोगों के ग्रेट हॉल में इकट्ठे हुए, विवादित एवं घर्षण हो ऐसे बयान से परहेज किया। 

शी जिनपिंग के भाषण के मुख्य अंश:

1. अमेरिका और चीन : शी जिनपिंगने ग्रेट हॉल ऑफ पिपल में उपस्थित स्थानिक नेताओ एवं दर्शको के समक्ष विश्वास जताते हुए घोषणा करते हुए कहा इस सदी के मध्य तक चीन "वैज्ञानिक समाजवाद" और "चाइनीज समज" के आधार पर "मानवता का एक नया विकल्प प्रदान कराते हुए" एक महत्वपूर्ण वैश्विक ताकत बन जाएगा। शी ने 2012 और 2017 के दो कॉंग्रेस में निर्धारित लक्ष्य, जिसमें "चीनी राष्ट्र का कायाकल्प" शामिल है को दोहराया, जिसका अर्थ ऐसा किया जा सकता है की चीन द्वारा जिन क्षेत्रो पर दावा किया जाता रहा है उन क्षेत्रों को चीन में शामिल करके वैश्विक शक्ति के रूप में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा।

2. सुरक्षा का राग : शी जिनपिंगने चीन के सामने खड़ी चुनौतियाँ और चीन को अस्थिर करनेवाली एवं CCP को तोड़नेवाली विदेशी ताकतों को नजरअंदाज नहीं किया। अमेरिका का नाम लिए बिना शीने "ब्लेकमेल करने, रोकने नाकाबंदी करबे एवं चीन पर अधिकतम बाहरी दबाव डालने के बाहरी प्रयासों" का उल्लेख किया, साथ ही यह घोषणा की के "चीन दबाव और शक्ति के सामने कभी जुकेगा नहीं" जिनपिंगने जब यह घोषणा की तब विश्व के सामने यह आशंका सामने आई कि "चीन विदेशी प्रतिबंधों एवं अन्य शक्तियों द्वारा अपने मामलों में हस्तक्षेप का मुक़ाबला करने के लिए तंत्र को मजबूत करेगा"। वास्तव में, राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में चिंता, जिसे चीनी नेताओं द्वारा अक्सर व्यक्त किया गया है, पूरी रिपोर्ट में स्पष्ट थी, जिसमें 91 बार अभूतपूर्व 'सुरक्षा' का उल्लेख किया गया था, जो कि 2017 की उनकी पिछली रिपोर्ट में केवल 42 बार उल्लेखित किया गया था उसके ठीक विपरीत था।  पार्टी की विश्वसनीयता को कम होने सेरोकने के लिए, शी ने वैचारिक स्पष्टता को लागू करने के बारे में असामान्य रूप से, विशेष रूप से उच्च पदस्थ कार्यकर्ताओं के बीच कुंद संदर्भ दिए। इस से ऐसा जाहीर होता दिख रहा था कि भ्रष्टाचार को खत्म करना प्राथमिकता है। इस वर्ष जो क्षेत्रो में  चीन पैसा और जनशक्ति का निवेश करता है उनकि ओर प्राथमिकता दर्शाते, तीन नए सेक्शन्स, विज्ञान और टेक्नोलोजी, इनोवेशन और सिक्यूरिटी,पेश किए गए। अमेरिका द्वारा हाइ-टेक सेमीकंडक्टर्स, माइक्रोप्रोसेसर्स आदि कि बिक्री पर लगाए गये प्रतिबंधों के मद्दे नजर खास कर के पहेले दो महत्वपूर्ण क्षेत्र है। 

3. रीफ़ोर्म्स को डाला ठंडे बस्ते मे : CCP कि इस कॉंग्रेस में कोई नीतिगत बदलाव कि घोषणा नहीं कि गई जो यह दर्शाता है कि शी कि "झीरों कोविड" सहित सभी नीतिओ को पार्टी का समर्थन है। 2017 की तुलना में शी ने आधे आर्थिक सुधारों का संदर्भ देकर यह संकेत दिया कि वो आर्थिक मंदी के प्रभाव से लोगोंमे उत्पन्न हुए आक्रोश को कम आंक रहे है। उन्होंने फिर भी जोर देकर, फिर से अमेरिका नाम लिए बिना कहा कि "आधिपत्य, उच्चस्तरीय बदमाशी" के बावजूद - चीन "बाहरी दुनिया के लिए खोलने" के लिए प्रतिबद्ध है और "एक खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था के निर्माण में अपने हिस्से का योगदान देगा"।


4.  चिंताजनक बयानबाजी : चीन के पड़ोसि देश जिनके साथ चीन के सीमा विवाद है, जिनको चीन "एक चीन" का हिस्सा समजता है उन पर और सेना पर शी की टिप्पणियों का, खास कर के पिछले कुछ समय से ताईवान पर जो स्थिति बनी हुई है उससे, ताईवान पर टिप्पणी का विशेष महत्व है। शीने ताइवान पर अडिग रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा, "हमारे देश के पूर्ण एकीकरण को महसूस किया जाना चाहिए जो हो कर रहेगा और इसे बिना किसी संदेह के महसूस किया जा सकता है"। जिनपिंगने जब कहा "उनके कार्यकाल के दौरान चीन के पूर्णएकीकरण की लिए प्रयास किया जाएगा" ग्रेट हॉल ऑफ पीपल तालियों की गड़गड़ाट से गूंज उठा, उन्होने धमकी भरे स्वर में कहा " हम कभी बलप्रयोग नहीं करने का वादा नहीं करेंगे" 

  जिनपिंगने दोहराया की वर्ष 2027 तक चाइनीझ आर्मी (PLA) इस शताब्दी की विश्वस्तरीय सेना बन जाएगी।उन्होंने आगे कहा कि चीनी सशस्त्र बलों को मशीनीकरण, इन्फॉर्मेशन और स्मार्ट टेक्नोलोजी के अनुप्रयोग के माध्यम से ओर मजबूत किया जाएगा। यह रिपोर्ट यह खुलासा करता है की चीन अपने परमाणु हथियारों को बढ़ा रहा है, इसकी पुष्टि कराते हुए शी जिनपिंगने खुलासा किया कि "रणनीतिक अवरोध कि एक मजबूत प्रणाली" को स्थापित किया जाएगा, साथ साथ "नई लड़ाकू क्षमताओ के साथ नए डोमेनबलों" की शुरुआत की जाएगी। शी ने संकेत दिया की चाइनीझ आर्मी (PLA) के पीएलए सपोर्ट फोर्स और पीएलए रॉकेट फोर्स को उन्नत लड़ाकू क्षमताओं के साथ बढ़ाया जाएगा। इस रिपोर्ट में एक विशेष दावा किया गया है की पीएलए का आधुनिकीकरण चीन को "उसकी सुरक्षा स्थिति को आकर देने के लिए संकटों और संघर्षो को रोकने और प्रबंधित करने तथा स्थानीय युद्ध जीतने में" सक्षम करेगा। "स्थानीय युद्ध" यह शब्द भारत और ताईवान के संदर्भ में काफी महत्व रखता है क्योंकि पिछली रिपोर्ट में इस शब्द का कोई उल्लेख नहीं था और इस रिपोर्ट मे इस शब्द का होना भारत और ताईवान के साथ चीन के संघर्ष की स्थिति को ध्यान में रखकर प्रयोग किया गया है। लद्दाख में हुए संघर्ष और तिब्बत में चीन के द्वारा रक्षा मामले में जिस तरह से बुनियादी ढांचे एवं सुविधाओं का विस्तार और मजबूत किया जा रहा है,  और ग्रेट हॉल ऑफ पिपल में उपस्थित 2,340 प्रतिनिधियों और 83 विशेष रूप से आमंत्रित सेवानिवृत्त वयोवृद्ध कैडरों के सामने गलवान में हुई चीनी सैनिको के साठा भारतीय सैनिकोकी झड़प का विडियो जिस तरह से दिखाया गया, उसकी पृष्ठभ्मि में देखते हुए भारत की द्रष्टि में इस शब्दों का बहुत महत्व रखता है। इस शब्दों का प्रयोग यह भी इंगित करता है की चीन भारत के साथ लंबी अवधि के लिए तनावपूर्ण संबंधो के लिए तैयार है और इसकी अनुमति भी इस सीसीपी की कॉंग्रेस में ले चुका है। जिनपिंग के वक्तव्य का यह भाग भारत के साथ चीन के दीर्घकालीक तनावपूर्ण संबंधो की समस्या रहेने का अंदेशा देता है। 


  

संवैधानिक संतुलन: भारत में संसद की भूमिका और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय

भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में, जाँच और संतुलन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न संस्थाओं की भूमिकाएँ सावधानीपूर्वक परिभाषित की गई है...