कोइ दस्तावेज को गुप्त रखने की कीमत क्या हो सकती है ? यूके सरकार कुछ दस्तावेजो को गुप्त रखने के लिए और उसे सार्वजनिक न करने के लिए 6,00,000 पाउंड (लगभग 800,000 डॉलर) का भुगतान कर रही है। क्या है येह दस्तावेज ? ऐसा क्या है उन दस्तावेजो में ? कौन सा रहस्य छुपा है उन दस्तावेजो में जिसे युके की सरकार सार्वजनिक न करने के लिए इतना बडा मुल्य चुका रही है ?:
इन सभी प्रश्नो के उत्तर भारत की स्वतंत्रता के समय के दंपत्ति के पास छुपे है, और वो दंपत्ति है ब्रिटिश भारत के अंतिम वाइसरोय और स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी लेडी माउंटबेटन, उनकी डायरीयां और दोनों के बीच कुछ के पत्राचार को युके की सरकार सार्वजनिक करना नही चाहती और उसके लिए इतनी बडी किमत चुका रही है, लेकिन आखिर मामला क्या है ? किस को दे रही है ब्रिटन की सरकार इतनी बडी राशि ?
कीस कागजात को छुपाना चाहती है ब्रिटिश सरकार ?
यूके सरकार इन कागजातों को कीसी भी तरह दफनाने की, छुपाने की, सार्वजनिक नहीं करने की कोशिश कर रही है, विशेष रूप से विभाजन के वर्षों से जुडे कागजात को दफनाना, छुपाना चाहती है और नही चाहती के यह डायरी और पत्राचार सार्वजनिक हो। ब्रिटिश सरकार को लगता है की यह डायरीयां और पत्राचार ब्रिटिश शाही परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते है और इसीलिए ब्रिटिश लेखक एंड्रयू लॉनी के खिलाफ एक अदालती लड़ाई में ब्रिटिश सरकार इतनी बडी राशि का भुगतान कर रही है। ब्रिटिश सरकार ऐसा मानती है की लोर्ड माउंट्बेटन और उनकी पत्नी लेडी एडविना माउंट्बेटन की डायरीयां और उनकी बीच के पत्राचार ब्रिटेन के पाकिस्तान और भारत के बीच के रिश्तों को खतरे में डाल सकता है।
माउंटबेटन और लडी एडविना
ब्रिटिश सरकार किस कारण से लोर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी लेडी एडविना के पत्राचार और डायरीयां को इतना महत्व दे रही है ? लोर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी लेडी एडविना की डायरीयां और पत्राचार ब्रिटिश शाही परिवार की प्रतिष्ठा को कैसे नुकसान पहुंचा सकते है ? लोर्ड माउंटबेटन का ब्रिटन के शाही परिवार से क्या संबंध है ? यहाँ यह जानना आवश्यक है की महारानी विक्टोरिया के प्रपौत्र थे। लोर्ड माउंटबेटन एक रॉयलिस्ट थे और जैसे की ब्रितिश रोयल परिवार का नियम है की परिवार के सदस्य को ब्रिटिश सेना में निश्चित समय के लिए अपनी सेवा देनी पडती थी, उस नियम का पालन करते हुए लोर्ड माउंटबेटनने भी रॉयल नेवी में अपनी सेवा दी थी। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नौसेना की कमान संभाली और ब्रिटिश राज में विभिन्न पदों पर रहे। वह भारत के अंतिम वायसराय भी बने। 1922 में दिल्ली में ही माउंटबेटन की मुलाकात एडविना नाम की एक युवती से हुई थी। उन्होंने तब शादी करने का फैसला किया, जिसमें कथित तौर पर कई उतार-चढ़ाव आए। दावा किया गया था कि दोनों के अन्य लोगों के साथ अफेयर थे परंतु माउंटबेटन और एड्विनाने लग्न किये। अब देखा जाए तो माउंटबेटन दंपति की शादी किसी से छिपी नहीं थी फीर ऐसा क्या है जो ब्रिटिश सरकार छिपाने की कोशिश कर रही है ?
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और एडविना के पत्र का अंश
लेडी माउंटबेटन वैसे मिलनसार थी और उनके काफी मित्र थे एड्विना के करीबी दोस्तों में से एक भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू भी थे। नेहरु और एड्विना की मित्रता के अनेक किस्से है जो समय समय पर चर्चा में आते रहेते है । एड्विना और जवाहरलाल नेहरु में पत्राचार होते थे यह भी सार्वजनिक है, कुछ पत्र ऐसे भी है जो सार्वजनिक भी है । एड्विना और जवाहरलाल नेहरू के बीच हुए पत्राचार में से एक पत्र WION न्युज के पास था जिसका संदर्भ देते हुए WION न्युजने दावा किया है की उस पत्र में, एडविनाने नेहरु को लिखा था, "आपने मुझे शांति की एक अजीब भावना के साथ छोड़ दिया। शायद मैं आपके लिए वही लायी हूँ? "मुझे आज सुबह आपको ड्राइव करते हुए देखते हुए नफरत हुइ। जवाहरलाल नेहरू ने इसका उत्तर दिया "जीवन एक नीरसता है,"।
कीसने मांगे ब्रिटिश सरकार से माउंटबेटन और लडी एदविना के वो कागजात ?
माउंटबेटन के कागजात जैसे एक खजाने की निधि के समान हैं उस में इतिहास है और कथित तौर पर बहुत सारे घोटाले हैं। इसलिए, कुछ साल पहले, लेखक एंड्र्यु लॉनीने जब इन कागजातों पर किसी प्रकार की रोक न करते हुए ब्रिटिश सरकार से मांगे, तो सरकार ने उन्हें उपकृत करने से इनकार कर दिया। लेकिन लेखक एंड्र्यु लॉनी ने सरकार के नकारात्मक उत्तर को ही नकार दिया और उन्होंने अंग्रेजों के सूचना की स्वतंत्रता के कानून का हवाला दिया और सरकार को माउंटबेटन के सभी कागजातों में से कम से कम 99.8 प्रतिशत को जारी करने के लिए मजबूर कर दिया, जबकि सरकारने बाकी के कागजातों का खुलासा करने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
क्या रह्स्य है नकारे गये कगजातों में ?
ब्रिटिश सरकारने जिस बाकी के कागजातों का खुलासा करने से स्पष्ट इनकार कर दिया वह कागजात कथित तौर पर 1947 और 1948 के वर्षों के दस्तावेज हैं, जिनमें लॉर्ड और लेडी माउंटबेटन की डायरी और दोनों के बीच कुछ पत्राचार शामिल हैं। इस दंपत्ति को अपने विचारों को बिना कोइ शब्द चोरी किये, प्रमाणिकता से कागज़ पर लिखने की आदत थी। अपनी आदत को पुरा करने के लिए दोनों डायरी लिखते थे, दोनों ने चिट्ठियों में अपने मन की बातें एक दुसरे को लिखे पत्रोमें स्पष्ट रुप से लिखी है। 1942 में लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी पत्नी को यह लिखा था: "अतिप्रिय एडविना, मुझे लगता है कि जीवन के सबसे कठिन सप्ताह के दौरान दो बार तुम्हें छोड़ना पड़ा। मुझे डर है, जैसा कि मैंने एक बार तुमसे पहले भी कहा था, तुम्हें एक नाविक से शादी नहीं करनी चाहिए थी। मैं अच्छी अच्छी बातें कहने का आदी नहीं हुं और मैं आपके अधिकांश अन्य प्रशंसकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उम्मीद नहीं कर सकता। परंतु मुझे लगता है कि मुझे यह अवश्य कहना चाहिए जो मैं सोचता हुं कि तुम वास्तव में भव्य और बहुत प्यारी और मधुर हो। माउंटबेटन ने भारत के विभाजन के दौरान हुइ सारी राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, सरहदीय और अन्य सभी उठापटक के साक्षी ही नही थे अपितु बहुत सारी बातो में मुख्य संचालक भी थे। माउंटबेटन और उनकी पत्नी लेडी माउंटबेटन को अपने विचारों बिना कीसी जिजक लिखने की आदत थी, ब्रिटिश सरकार को यह शंका है की उनकी डायरियों सार्वजनिक करने से वो सारी बातों का खुलासा हो सकता है जो उस समय साजा नही किये गये और इसी कारण ब्रिटेन इसे साझा करने में सहज नहीं है। उनकी डायरियों में नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, महात्मा गांधी और भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा खींचने वाले सर सिरिल रेडक्लिफ के बारे में माउंटबेटन के विचार हो सकते हैं। माउंटबेटन, शाही परिवार के एक बहुत ही प्रभावशाली सदस्य, ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप के मामा थे। वह तत्कालिन प्रिंस ऑफ वेल्स, प्रिंस चार्ल्स और वर्तमान किंग चार्ल्स के लिए एक पिता समान थे, दोनों बहुत करीब थे। माना जाता है कि माउंटबेटन ने प्रिंस चार्ल्स के निजी जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी, चाहे वह तत्कालीन प्रेमिका कैमिला पार्कर बाउल्स के साथ उनका अफेयर हो या डायना के साथ उनकी शादी। शाही परिवार प्यार से माउंटबेटन को "अंकल डिकी" कहता था। और वर्तमान किंग चार्ल्स माउंटबेटन की डायरी लिखने की आदत के बारे में भलीभांती जानते थे। ऐसा कहा जाता है कि शाही परिवार के पास उनके कुछ दस्तावेज भी थे। लेकिन परिवार में किसने सोचा होगा कि अंकल डिकी की डायरी एक दिन सार्वजनिक खजाने को खाली करना शुरू कर देगी? अब तक, यूके सरकार ने माउंटबेटन के विचारों को दुनिया से छिपाने की कोशिश करते हुए, उन्हें छुपाने के लिए 800,000 डॉलर खर्च किए हैं।
क्या माउंटबेटन दंपत्ति के पत्राचार और डायरीयां कभी सार्वजनिक होगी ?
अभी, लंदन में एक मुकदमा चल रहा है जो यह निर्धारित करेगा कि ब्रिटेन के शाही परिवार और ब्रिटन की कैबिनेट की चिंताओं के बावजूद माउंटबेटन दंपत्ति की सभी निजी डायरियों और पत्रों को जनता के लिए जारी किया जाना चाहिए या नहीं।
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