अंतरिक्ष में अपने पहले मानव मिशन गगनयान को लॉन्च करने की दिशा में 20
जुलाई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक बहुत बड़ी सफलता मिली थी। गगनयान मिशन के सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS) का 20 जुलाई को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम गगनयान ऑर्बिटल मॉड्यूल की आवश्यकताओं को पूरा करता है। हॉट टेस्ट के अंतिम कॉन्फिग्रेशन का आयोजन इसरो के तमिलनाडु में महेंद्रगिरी स्थित प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया था। गगनयान मिशन को अगले वर्ष लॉन्च किया जाना है, जिसे लेकर इसरो के वैज्ञानिकों और कर्मचारीओं में अत्यांतिक उत्तेजना और रोमांच है और सभी इस मिशन की तैयारी पूरी कर रहे है।
गगनयान मिशन के लिए केंद्र सरकारने इसरो को 10 हजार करोड़ की राशि दे चुकी है. गगनयान भारत का अंतरिक्ष में पहला मानव मिशन है। इस मिशन की गंभीरता ध्यान में रखते हुए इसरो काफी सावधानी बरत रहा है और सभी परिक्षण बारीकी से कर रहा है। मिशन गगनयान मानव को अंतरिक्ष में भेजने का ISRO
का महत्वाकांक्षी आयोजन है, इस मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर स्पेस में भेजा जायेगा. इस संबंध में भारतीय वायुसेना की मदद भी ली जा रही है। वायुसेना से अंतरिक्ष यात्री चुनने के लिए कहा गया है।
गगनयान इसरो के तीन अंतरिक्ष मिशन का एक ग्रुप है। गगनयान इसरो द्वारा बनाया गया एक स्पेसक्राफ्ट है. इसमें दो अभियान मानव रहित होंगे जबकि तीसरे में मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाना है. बताया जा रहा है कि इस मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे, जिसमें एक महिला रोबोट समेत दो पुरुष और एक महिला होंगी. इसरो की योजना पृथ्वी की सबसे करीबी कक्षा (लोअर ऑर्बिट) में मानव यान भेजने की है। गगनयान 5-7 दिनों के लिए पृथ्वी के ऊपर 300-400
किमी की ऊंचाई पर एक लो अर्थ ऑर्बिट में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा और वापस लौटेगा। भारत का गगनयान मिशन सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन जैसे चुनिन्दा देशों की क्लब में भारत भी शामिल हो जाएगा।
इस अंतरिक्ष मिशन की घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018
में राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में की थी। मानवयुक्त मिशन से पहले, इसरो ने गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में दो मानव रहित मिशन भेजने की भी योजना बनाई है। पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2020
में भेजा जाना था और दूसरा मिशन जून 2021
के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि,
कोरोना वायरस महामारी के कारण इसरो के काम और संचालन में व्यवधान के कारण पहले मानवरहित मिशन में देरी हुई है। अब इस मिशन के साल 2023-2024
में लॉन्च किया जाएगा। इंडिया के इस स्पेस कार्यक्रम की कुल लागत 10000
करोड़ रुपये से कम होने की उम्मीद है।
गगनयान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मानव को भारतीय प्रक्षेपण यान पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता को प्रदर्शित करना है। गगनयान प्रोजेक्ट में 3
सदस्यों के चालक दल को 400
किमी की कक्षा में 3
दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करके और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारकर, भारत द्वारा मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है। भारतीय इसरो जिस अंतरिक्ष यान को विकसित कर रहा है उसमें रूस अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में हमारी मदद कर रहा है। एचएसएफसी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत गगनयान की पहली विकास उड़ान को लागू करने के लिए मौजूदा इसरो केंद्रों का समर्थन लेगा। अंतरिक्ष यात्रियों के बैठने वाली जगह क्रू मॉड्यूल का निर्माण पूरा हो चुका है। गगनयान के पहले चालक दल के मिशन (क्रू मिशन) को मूल रूप से दिसंबर 2021
में इसरो के LVM3
पर लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन इसमें 2024 से पहले लॉकडाउन के कारण देरी हुई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने पहले मानव अंतरिक्ष यान (गगनयान) की तैयारी में लगा हुआ है।
गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य मानव को भारतीय लॉन्च वाहन पर पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है। COVID
प्रतिबंधों के कारण भारत के गगनयान कार्यक्रम में थोड़ी देरी हुई, लेकिन अब 2023-24
तक मिशन को हासिल करने की तैयारी जोरों पर है।
गगनयान परियोजना के तहत 3 सदस्यों के चालक दल को 400
किमी की कक्षा (ऑर्बिट) में 3
दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करके और मिशन पूरा होने के बाद उन्हें भारतीय समुद्री जल में सुरक्षित और सफल लैंडिंग करवाना है। अतः इस गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन पूरा होने पर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर इसरो द्वारा भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन को साबित करना है।
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